JYOTIRLINGA
12 ज्योतिर्लिङ्ग
भारत में 12 ज्योतिर्लिङ्ग है जो की चारों दिशा में शिव लिङ्ग के रूप में है। वैसे मान्यता तो ये है की सारे स्वयंभू है। रामायण महाभारत काल के पहले से देवों द्वारा स्थापित किया गया है।बारहों स्थानों में शिव जी का मंदिर है।
हमारे 12 ज्योतिर्लिङ्ग
1 . सोमनाथ -गुजरात में सोमदेव ( चन्द्रमाँ )द्वारा
2 मलिकार्जुन -श्रीशैलम में .नर्मदा किनारे आंध्र प्रदेश
3 . महाकालेश्वर -मध्यप्रदेश उज्जैन शिप्रातट
4 . ओमकालेश्वर -मध्य्प्रदेश
5 . वैद्यनाथ -झारखण्ड
6 . नागेश्वर -द्वारका
7 . केदारनाथ -उत्तरांचल
8 . त्र्यम्बकेश्वर -महाराष्ट्र
9 . रामेश्वर -तमिलनाडु राम जी द्वारा समुन्दर
10 . भीमाशंकर -महाराष्ट्र
11 . विशेश्वर -बनारस उतरप्रदेश गंगा किनारे
12 . घृष्णेश्वर -महाराष्ट्र
वैसे 12 में से 8 दर्शन हो गया है फिर भी 4 अभी बाकी है।
मलिकार्जुन ,त्रयम्बकेशवर ,भीमाशंकर और घृष्णेष्वर
मजे की बात तो ये है की हमलोग मॉरिशस घूमने गये थे पता चला वहाँ भी एक ज्योतिर्लिङ्ग है जिसे वे लोग 13 वाँ लिङ्ग मानते है और मॉरीशेश्वर बोलते है। पहाड़ के ऊपर खुब सुदर बड़ा सा मंदिर है और वहाँ बहुत ही धूम -धाम से शिवरात्री और सावन मानते है और कँवर लेकर जाते है देख कर बड़ा अच्छा लगा.विदेश में भी एक ज्योतिर्लिङ्ग हो गया।
चीन गए थे वहाँ भी घूमते घामते एकदम अमरनाथ के जैसा वर्फ़ का शिवलींग देखने मिला पहाड़ के ऊपर गुफा के अंदर छोटे बड़े सैकड़ों वर्फ़ का लिङ्ग अपने आप बना था। वो भी देख पायें।
कभी भी कोई तीर्थ व्रत कुछ सोंच कर नहींनातो प्रोग्राम बना कर देखने गए बस घुमते -घुमते पता ही नहीं चला की कब चार धाम हो गया। सप्तपुरी में अयोध्या छोड़ कर 6 पुरी हो गया और १२ ज्योतिर्लिङ्ग में 8 लिङ्ग हो गया।
इसे ही प्रभु की माया या इच्छा बोल सकते हैं।
12 ज्योतिर्लिङ्ग
भारत में 12 ज्योतिर्लिङ्ग है जो की चारों दिशा में शिव लिङ्ग के रूप में है। वैसे मान्यता तो ये है की सारे स्वयंभू है। रामायण महाभारत काल के पहले से देवों द्वारा स्थापित किया गया है।बारहों स्थानों में शिव जी का मंदिर है।
हमारे 12 ज्योतिर्लिङ्ग
1 . सोमनाथ -गुजरात में सोमदेव ( चन्द्रमाँ )द्वारा
2 मलिकार्जुन -श्रीशैलम में .नर्मदा किनारे आंध्र प्रदेश
3 . महाकालेश्वर -मध्यप्रदेश उज्जैन शिप्रातट
4 . ओमकालेश्वर -मध्य्प्रदेश
5 . वैद्यनाथ -झारखण्ड
6 . नागेश्वर -द्वारका
7 . केदारनाथ -उत्तरांचल
8 . त्र्यम्बकेश्वर -महाराष्ट्र
9 . रामेश्वर -तमिलनाडु राम जी द्वारा समुन्दर
10 . भीमाशंकर -महाराष्ट्र
11 . विशेश्वर -बनारस उतरप्रदेश गंगा किनारे
12 . घृष्णेश्वर -महाराष्ट्र
वैसे 12 में से 8 दर्शन हो गया है फिर भी 4 अभी बाकी है।
मलिकार्जुन ,त्रयम्बकेशवर ,भीमाशंकर और घृष्णेष्वर
मजे की बात तो ये है की हमलोग मॉरिशस घूमने गये थे पता चला वहाँ भी एक ज्योतिर्लिङ्ग है जिसे वे लोग 13 वाँ लिङ्ग मानते है और मॉरीशेश्वर बोलते है। पहाड़ के ऊपर खुब सुदर बड़ा सा मंदिर है और वहाँ बहुत ही धूम -धाम से शिवरात्री और सावन मानते है और कँवर लेकर जाते है देख कर बड़ा अच्छा लगा.विदेश में भी एक ज्योतिर्लिङ्ग हो गया।
चीन गए थे वहाँ भी घूमते घामते एकदम अमरनाथ के जैसा वर्फ़ का शिवलींग देखने मिला पहाड़ के ऊपर गुफा के अंदर छोटे बड़े सैकड़ों वर्फ़ का लिङ्ग अपने आप बना था। वो भी देख पायें।
कभी भी कोई तीर्थ व्रत कुछ सोंच कर नहींनातो प्रोग्राम बना कर देखने गए बस घुमते -घुमते पता ही नहीं चला की कब चार धाम हो गया। सप्तपुरी में अयोध्या छोड़ कर 6 पुरी हो गया और १२ ज्योतिर्लिङ्ग में 8 लिङ्ग हो गया।
इसे ही प्रभु की माया या इच्छा बोल सकते हैं।
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