गुरुवार, 11 अगस्त 2016

SWEET MEMORIES( PART -2 )

                                                                                                                           (     PART - 2   )
                                                            यात्रा संस्मरण 

                   LA में घुमाते हुये भैया ने बताया की वर्ल्ड फेमस कैलीफोर्नीया बादाम की खेती अब यहाँ कम  होते जा रहा है।यहाँ पानी की कमी के कारन बादाम का पेड़ काट कर अब स्ट्राबेरी का खेती करने लगे हैं। हर खेत में 2 -3 ट्रैक्टर खड़ा दिखा भैया से पता चला की ट्रैक्टर में प्रोग्राम फीड किया हुआ है बगैर ड्राईवर का फील्ड में प्रोग्राम और टाईम के हिसाब से खेत जोतता है। और तो और यहाँ एक और चीज देखने मिला की खेतों के बीच में छोटा -छोटा प्लेन खड़ा है। भैया ने बताया की यहाँ का  किसान अपने शहर से प्लेन से आता है ,ये छोटे प्लेन का पोर्ट है और अपना काम करके शाम को वापस प्लेन में अपने घर चले जाता है। एक आमेरिका का किसान का रईसी और एक अपने देश के किसान का मजबुरी ,कितना अंतर है दोनों देशों में।
         अभी तक तो ड्रीप और स्प्लीनकर सिस्टम ही देखे थे और सुने थे ,पर इस बार यहाँ टाईमर वाला स्प्लीनकर भी देखने मिला। जो की रोज अलग -अलग टाईम और फील्ड में सिचाई करता था। ये भी नया चीज था देख कर बड़ा अच्छा लगा। सिचाई का सिंचाई और समय और पानी का बचत हमें भी येसब देख कर सीखना और अपने यहाँ भी करना चाहिए।
           अमेरिका इतना बड़ा है की एक बार में सब जगह घुमना, सबों से मिलना ,सब चीज देखना बहुत ही मुश्कील है फिर भी बहुत कुछ देखना और मिलना तो हुआ ,पर अफशोस की काका से नहीं मिल सकें जब की काका का 88 जन्म दिन भी पड़ा था। अब इतने बुजुर्ग काका से मिलना तो अब नहीं हो सकेगा। .सब कुछ बहुत ही दूर है। पोता और बहु स्वाती से से भी मिलना नहीं हो सका। उनलोगों से तो फिर भी रायपुर में भेट हो ही जाता है काका से नहीं मिलने का अफसोस रहेगा।
       अमेरिका में बहुत चीज देख कर जहाँ खुशी लगा वहीं ,पछतावा भी हुआ। हमलोग अपनी सभ्यता और संस्क्रीती  भुलते जा रहे हैं और विदेशी चीज ज्यादा अपना रहे है। वहीं विदेश में हमारे देश के सारे अच्छाईयों को वे लोग अपना रहें हैं।
        इसी के साथ हमारा अमेरिका का एक महीना का यात्रा वर्णन यहीं  समाप्त हो रहा है। मेरे सोच से किसी को भी ठेस लगा हो तो उसके लिये दिल से माफी चाहते है। किसी की भावना को चोट पहुँचाना मेरा उद्देश्य नहीं था। बस जो देखे ,जो समझे वह लिख दिए ,जरूरी नहीं की मेरा सोच ही सही हो। सब का अपना -अपना सोच और विचार होता है और उसको वही करना भी चाहिए जिसमें उसे सुख और सुविधा हो।


                                                             "  इति "
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काका 
   

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