रविवार, 21 अगस्त 2016

DWARKADHISH

                                         DWARKA DHAM                                                      (   3 - DHAM  )
                     
                पशचिम में समुन्दर किनारे गुजरात मेंद्वारका  तीसरा धाम   है। भगवान  कृष्ण के द्वारा बनाया गया था।पर दो बार समुन्दर में समा चुका है और ये तीसरी बार फिर से उसी जगह में कृष्ण के वंशजों द्वारा बनवाया गया है।  द्वारका आने पर भेट द्वारका जहाँ कृष्ण सुदामा भेंट हुआ था वह भी देख सकते है । नागेशवर और सोमनाथ दो ज्योतिर्लिङ्ग का भी दर्शन हो जाता है।
          सोमनाथ अरब सागर के किनारे पर है। इसे 12 ज्योतिर्लिङ्ग का प्रथम लिङ्ग मन जाता है। चंद्रदेव द्वारा बनवाया गया था इस लिये सोमनाथ नाम  पड़ा है। महमूद गजनी ने अनेको बार आक्रमण कर मंदिर से सोना लूट कर ले गया था। 18 वीं सदी में अहिल्या बाई द्वारा बनवाया गया था। बाद में सरदार बल्लभभाई पटेल ने फिर से
बनवाने  का बीड़ा लिया। सारा सोना तो लुटा जा चुका था पर दिलीप लेखी भक्त और उनके परिवार वाले लगातार सोना दान कर रहे है और पुरे मंदिर में फिर से सोने के पत्र से सजाया जा रहा है। अभी तक 104 किलो सोना से मंदिर सज चुका है पर किसी ज़माने में 200 मन सोना लगा था। मंदिर के गुम्बज में ही 20 मन का कलश था।सोमनाथ अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के किनारे होने के कारन सूर्यास्त और सूर्योदय दोनों समय



भेटद्वारका 


नागेशवर 
मंदिर  का द्र्श्य बहुत ही मनमोहक हो जाता है। 

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