रविवार, 12 जून 2016

SITKA

MON,13 JUN
                                                                        सिटका 
                पाँचवें दिन हमारा क्रुज अलास्का के सिटका शहर में रुका। अलास्का के बाकी शहरों की तरह ये भी कम आबादी वाला छोटा सुंदर तीन तरफ जंगल पहाड़ जहाँ जंगली जानवर भूरा भालू ,ईगल वगैरा ,और चौथे तरफ पेसिफिक अोसन था। यहाँ भी वही वर्फ के कारन 5 -6 महीना क्रूज आने पर चहल पहल बाकी समय सन्नाटा। 
      पोर्ट से शटल बस से डाउन टाउन में आकर एक ही जगह सारे मोन्यूमेंट हो या म्यूजियम या रोज गार्डन सब कुछ पैदल घुम कर देख सकते है। सैकड़ों सालों तक सिटका पोर्ट से रशियन फर का ट्रेडिन्ग होता था इसलिए यहाँ रशियन छाप भी देखने मिलता है। मेन  चौक में रशियन ऑर्थोडॉक्स चर्च भी है। 
     यहाँ एक दुकान में क्या देखते है की बहुत ही सुंदर -सुंदर पैकींग में रंग बिरंगा नमक है है और टूरिस्ट लोग गिफ्ट पैक खरीद कर लेजा रहे हैं। अभी तक तो तीन तरह का नमक जानते थे ,एक साधारण नमक रोज वाला ,एक सेंधा नमक व्रत वाला और एक काला  नमक दही ,रायता वगैरा में यूज़ करने वाला।पर यहाँ लेमन ,जींजर ,स्ट्राबेरी और पता नहीं बहुत प्रकार का नमक था ,आओ टेस्ट करो और खरीद कर ले जाओ। इनका तो एक तरफ ही समुंदर है हमारा तो तीनो और समुंदर है हमलोग भी ऐसा कर सकते हैं सीखना चहीये।
      सिटका में बुजुर्गों का ओल्ड ऐज होम भी देखने का मौका मिला जो हमारे लिये नया अनुभव था। बड़ा सा बिल्डींग में पायनियर होम लिखा था। अब पैदल तो घूम -घूम कर हर बिल्डींग घूम ही रहे थे उसमे भी गये पता चला ये मोन्यूमेंट नहीं ये तो ओल्ड ऐज होम है सारे अलास्का में इस तरह का और पांच होम है। जहाँ बूढ़े लाचार लोग जिनका कोइ देखभाल नहीं कर सकते उनके घर वाले यहीं भर्ती कर देते है।उनका पेंशन ,सरकार और चर्च मिलकर खर्चा उठाती है। इस तरह का होम पुरुषों के लिये 1912 से है पर 1934 से महिला और पुरुष दोनों के लिए बना।बुजुर्गों के बीमारी के हिसाब से तीन लेवल में बाटा गया है। 
 1 ,पहले लेवल में जो अपना काम खुद कर सकते हैं और चल सकते है ज्यादा मदद की जरुरत नहीं वे लोग।  2, दूसरे  लेवल में वे जिन्हें हर काम में मदद लगता है। 
 3 , तीसरे लेवल में वे जिन्हे 24 वों घंटे मदद की जरुरत होती है ,जो एकदम चल नहीं पाते ,जिन्हे यादाश्त या पार्किन्सन्स वगैरा बीमारी है उनको रखते है। 
   दवाई ,हॉस्पीटल जैसा जरुरत हो सब की सुबिधा है। यहाँ तक की उनके मनोरंजन का भी ध्यान दिया जाता है। जैसे कुछ खेल ,एकसरसाइज या चाहे वे गार्डनींग हो या आर्ट जिसमे रुचि हो उनको विजी रखने के लिये कुछ -करवाते रहते  हैं। पर यहाँ भर्ती करने का लाखो डॉलर फीसदेना पड़ता  है। पर जो हो देख कर अच्छा ही लगा बुजर्गो का इतना ध्यान कहाँ दे पाते है। इतना सुख सुविधा  होने के वाबजुद उन बुजुर्गों के आँखों में एक निराशा दिखता था और जैसे अपनों को ढूंढ रहे हों।होम देख कर जितना अच्छा लगा था।  उनलोगों को देख कर भारी मन से होम से बहार निकल कर अपने क्रूज की ओर आगे के सफर के लिये निकल पड़े।


      

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