शनिवार, 25 जून 2016

CAMAS

                                                                            CAMAS                                          (  PART -2 ) 
                       सीएटल से कामस शाम को 4 बज गया  पहुँचते।  निकी की माँ पड़ोस में ही रहती थी।निकी सुबह 4 बजे से उठी थी वह अपनी माँ के घर आराम करने चली गयी। हमलोग भी थके थे थोड़ा बेट्टी के घर गप -सप कर के फिर कामस घूमने निकल पड़ें।बेट्टी ने कमस में लुई का स्कूल ,कॉलेज ,खेत और पूरा शहर का राऊँड लगा कर डिनर कराते वापस 8 बजे तक घर लाई। निकी भी अपनी माँ केरेन को लेकर मिलने आई। 
         निकी और केरेन का कोई इंडियन दोस्त नहीं है और ना तो वह इंडिया के बारे में ज्यादा कुछ जानती है   .इसलिए बहुत कुछ पुछी और जानने समझने की कोशिश की ,जैसे शादी के विषय में पूछी जब हमलोंगों से सुनी की हमारे यहाँ लड़का और लड़की के माँ -बाप शादी तय करते हैं। घर वर पसंद करते तब शादी पक्का होता है और इसलिए यहाँ तलाक भी बहुत कम होता है।यहाँ जॉएंड फैमिली का कल्चर है। उनलोगों को सुन कर जितना ताजुब्ब हुआ उतना ही पसंद भी आया। निकी के जन्म के पहले ही केरेन का तलाक हो चुका था। अमेरिकन लाईफ स्टाईल के कारन बेट्टी इतनी बुजुर्ग होने पर भी अलग घर में रहती है ,बेट्टी की बेटी केरेन भी अलग पड़ोस में रहती है और उसकी बेटी निकी भी अलग रहती है।उनलोग को इतना अच्छा लगा सब सुनकर। उनलोगों ने  साड़ी ,साल ,पार्लर से लेकर त्यौहार तक के बारे में बहुत ही बारीकी से पुछा।
  बेट्टी के परिवार से मिल कर हमलोगों को भी बहुत अच्छा लगा। हमलोगों को पता था की ये लोग फार्मर हैं और फार्मींग  करते हैं। पर यहाँ आकर क्या देखते हैं ये सिर्फ फार्मर नहीं ये तो जमींदार हैं। सैकड़ो एकड़ जमीन है। खेत ,खलियान ,ट्रैकटर ,जमींदारों की तरह रहन सहन ,3 -4 गाड़ी ,बड़ा सा घर क्या नहीं था। बस अमेरिका होने के कारन सब काम खुद करना पड़ता था। वहीं अपने देश में जमींदार बोलने से नौकर -चाकरों का फौज देखने मिलता। लुई ट्रैकटर भी खुद चलता है और गाड़ी भी खुद चलता है। लुई और बेट्टी दोनों ही काफी बुजुर्ग है 80 ,85 साल के होगये है पर हमलोगों को लेने सुबह 4 बजे से उठ कर कार चला कर सीएटल से घूमते हुए कामस लाना कामस भी घुमना और दूसरे दिन घूमते हुए एयरपोर्ट छोड़ना सब उनलोगों ने किया। अब उम्र होने के कारन बेट्टी कुकिंग नहीं करती है ,वेलोग रेस्टुरेन्ट में ही ब्रेकफास्ट ,लंच और डिनर सब बहार  ही करते है। हमलोगो को सीएटल से पोर्टलैंड  छोड़ने तकजब जैसा टाइम था बहार ही खिलाई पिलाई। रेस्टुरेन्ट में पहले ही बोल देती थी नो मीट ओनली वेज  .
      जाते जाते हमलोगो को अपनी बेटी केरेन के घर भी लेगई। हमलोग जैसे कुछ गिफ्ट करते है वैसे गिफ्ट दी गले मिली। वास्तव में वो 24 घंटा कैसे बीता पता ही नहीं चला। हमलोगो को जैसे उनका साथ अच्छा लगा वैसे उनलोगों को भी हमलोगो से मिल कर बहुत अच्छा लगा। कोई फॉर्मलेटी ,दिखावा कुछ भी नहीं। इतने बड़े लोग होकर भी अपने रिस्तेदार जैसा वयवहार करी,सचमुच पता नही कैसे ऐसा दोस्त मिल गई और 10 साल से दोस्ती निभा रही है।
                                                                                                                                 क्रमशः







  


             
                 

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