FRI,24 JUN सीएटल ( part -1 )
24 घंटे मित्रों के साथ
आखिर 11 वें दिन हमारा क्रुज का सफर समाप्त हुआ ,सुबह 8 बजे हम सीएटल पहुंचे। यहाँ हमारी पुरानी मित्र बेट्टी और लुई अपनी नातिन निकी के साथ पोर्ट से अपने घर कामस लेजाने के लिये तैयार थे। उनकी नातिन 20 -22 साल की बड़ी ही प्यारी बच्ची थी। वैसे तो निकी वैंकोवर में कॉलेज में पढ़ती भी है और चीज फैकट्री में काम भी करती है. पर इंडिया से नाना नानी के मित्र आ रहे है इसलिए संडे भी था एक दिन मंडे का छुटी लेकर सीएटल आई थी।
पहले तो सीएटल घुमाई अच्छा बड़ा शहर था पर दो जगह बहुत ही अच्छा लगा। एक तो बोईंग का म्यूज़ीयम यहाँ वेलोग 100वें साल सेलीब्रेटकर रहे थे। यहाँ राहुल को याद किये वो होता तो सिम्युलेटर का मजा लेता। प्रेसीडेंट का प्लेन भी म्युजियम में था उसमें भी चड कर घूम -घूम कर देखने का मौका मिला। और दूसरा यहाँ का मार्केट। संडे होने के कारन बहुत चहल -पहल था। टुयलीप फुल का बहार था ,गार्डन से सीधे लाया हुआ फुल ,फल और ताजा सब्जी से पुरा मार्केट सजा था।यहाँ मछली बेचने का तरीका भी बड़ा मजेदार था। जब कोई ग्राहक से सौदा पक्का हो जाता तो गाना गाते हुए जोर से उछाल कर काउंटर में फेंकते और दुकानदार उसे कैच कर लेता। बड़ा मजा आया ऐसा भी तरीका हो सकता है।
मार्केट के पीछे एक पतला गली था ,निकी वहाँ लाई कुछ समझ नहीं आया की इतना बदरंग दीवाल वाला गली में क्या है। उसने बताया पुरे दीवाल में जो दिख रहा है सब चुयंगम है। इस गली का नाम गम स्ट्रीट है। उसने बताया वह भी अपने दोस्तों के साथ यहाँ गम चिपकाई है। बहुत लोग तो पेपर में नाम और तारिख भी लिख कर गम चिपकाए थे। देख कर मजा और आशचर्य दोनों हुआ।सीएटल से सीन सीनरी मार्केट सब घूमते हुए कामस पहुंचते शाम होगया।
क्रमशः
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