मंगलवार, 14 जून 2016

GLACIER BAY

 TUE ,14 JUN
                                                               GLACIER  BAY
                                                                   ग्लेशियर बे  
              आखिर छठवें दिन जहाज से अलास्का का  ग्लेशियर देखने का दिन आ  ही गया। अभी तक तो जहाज से उतर उतर कर ग्लेशियर देख रहें थे लेकिन छठवें दिन रात और दिन 24 वों घंटा जहाज ग्लेशियर के बीच से धीरे -धीरे गुजर रहा था और एकदम ही अलग नजारा देखने मिला।
    250 साल पहले तक ग्लेशियर बे में सिर्फ और सिर्फ ग्लेशियर ही था कोई  बे नहीं था।100 मील लम्बा और करीब हजार फ़ीट गहरा वर्फ का नदी था। पर मौसम में बदलाव आने के कारन और ग्लेशियर के टूट -टूट कर गिरना और पिघलने  के कारन आज इस का स्वरुप ही बदल गया। एक टूरिस्ट स्पॉट बन गया जहाँ पानी से होकर ही देखा जा सकता है। रास्ते में हमें 2 जहाज औरमिला अब तो अमेरिका का  नेशनल पार्क और वर्ल्ड हेरीटेज  है।
  रास्ते भर कभी ठंडे पानी में व्हेल का मस्ती ,तो  कभी सफ़ेद भेड़ का झुण्ड  को ग्लेशियर में नमक ढूँढ कर  खाते देखना ,बड़ा अच्छा लग रहा था। जैसे जैसे जहाज आगे बढ़ते जाता था तेज वर्फीली हवा और ठण्ड। पर कोइ डेक से नहीं हटता था। बस कभी ऊपरी डेक कभी नीचे चारों तरफ जहाँ से अच्छा सीन और जानवर दिखे लोग दिन भर देखते और फोटो खींचते , यही सब करते रहे। 
     कहीं बड़ा -बड़ा ग्लेशियर टूट कर गिर रहा तो कभी कोइ ऊँचा पर्वत में वर्फ ही वर्फ होने से  कैलाश मानसरोवर का याद दिला देता ,कभी कोई ग्लेशियर देख कर अमरनाथ याद आजाता और मजे की बात तो येभी हुआ की जब अमरनाथ को याद कर रहे थे तब दो सफ़ेद कबूतर भी जहाज के ऊपर मंडराने लगी जैसे अमरनाथ में होता है।   एक बार तो ऐसा लगा की हिमालय ,नेपाल और सारे तीर्थ का दर्शन एक साथ  हो गया। वास्तव में बहुत ही रोमांचक और रोचक रहा। ऐसा सीन और अनुभव बोल और लिख नहीं सकते बस देख कर आनंद उठा सकते हैं। सचमुच अलास्का अलास्का है ऐसे ही इतना फेमस नहीं हुआ है।








 
    

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