ROSEVILLE
                                                                     PUJA KE GHAR ANGANसैनफ्रांसिस्को घुमने के बाद ,तीसरे दिन एमट्रेक्स ट्रेन से सैक्रामेंटो के लिये निकल पड़े। ट्रेन समुंदर के किनारे -किनारे जा रही थी। जहाँ एक तरफ समुंदर दो दुसरी तरफ जँगल पहाड़ बड़ा ही मनोरम दृश्य था। जल में बड़ी छोटी नौका जा रही थी। गोल्डन गेट ब्रिज भी दिखा, ट्रेन भी काफी फ़ास्ट थी।सुबह 10 बजे चले थे सैक्रामेंटो 12 बजे दिन तक पहुँच गये।पुजा स्टेशन लेने आई।
पहले पता नहीं था की कैसा शहर है ,क्या देखते है बड़ा -बड़ा बिल्डींग सुंदर रोड मॉल क्या नहीं था ,पुजा से पुछने पर पता चला की कैलीफोर्निया का स्टेट कैपिटल है इसलिए इतना अच्छा और चहल -पहल है। सारे सरकारी ऑफिस ,कोर्ट ,कचहरी सब यहाँ है। हमलोग तो सोचते थे की कैलीफोर्निया का स्टेट कैपिटल लॉस एंजेल्स होगा। सैक्रामेंटो से रोजविले पुजा के घर पहुँचते 1 बज गया। हमलोगों के लिये बढ़िया लंच तैयार रखी थी। हमलोग खा पी कर थोड़ा आराम करने लगे तब तक तीन बज गया था पुजा बच्चों को स्कूल लेने चली गयी।
पुजा के घर के पीछे जैसा की मिआमी में ज्योति के घर में देखने मिला था। सुंदर लेक चारो तरफ मकान ,लेक में ढेर सारी छोटी बड़ी बत्तख ,जल पक्छी खुब मस्ती कर रही है शाम भी हो रहा था उनके वापस लौटने का समय हो रहा था कोई उड़ रही थी तो कोई किनारे से बीच में जा रही थी बड़ा ही सुहाना शाम था। लेक के चारो तरफ फुटपाथ बना था।पुजा हमलोगो को लेकर टहलने निकल पडी। बच्चे तो साईकल से हमलोगों के आगे -आगे जाने लगे। मौसम भी अच्छा था।,यहाँ मौसम का कुछ भरोसा नहीं रहता है कभी भी धुप ,पानी और ढन्ड सब साथ -साथ चलते रहता है।
संजय तो सुबह 8 -9 बजे ऑफिस चले जाते थे और रात को 8 -9 बजे तक आते थे। बच्चे भी सुबह 8 बजे स्कूल जाते तो दोपहर 3 बजे आते थे। पुजा हमलोग को रोज दिन में घुमने ले जाती थी। रोजवीले का मॉल और पुरा सिटी ,इंडियन स्टोर सब जगह खुब घुमाई खिलाई पिलाई तीन दिन पुजा के घर जम कर मेहमानी करवाए। वैसे पुजा के साथ कोई फोर्मलिटी तो था नहीं ,पुजा के स्कूल के मित्र तो कहीं रायपुर के पड़ोसी ,घर परिवार के लोग बस इधर उधर के बात में समय का पता ही नहीं चलता था ,मेरा तो बाकी टाईम ड्राइंग रूम में बैठ कर या बरामदे से लेक का मजा लेना रहता था।लेक में एक मजेदार चीज देखे दोपहर में लड़के लोग मछली पकड़ते थे यहाँ मछली पकड़ना एलॉय है पर फिर वापस डालना पड़ता है बिना नुकसान के ,लोग आते पकड़ते और छोड़ते पानी वरसे या धुप छाता लेकर बैठ जाते ये भी अजीब शौख।
   पुजा दोपहर को हमलोगों को लंच करा कर बच्चों को लेने स्कूल जाती थी एक दिन हम भी साथ हो लिये। वहाँ जाकर ध्यान दिए अरे बच्चे तो बिना स्कूल ड्रेस के हैं तब पता चला यहाँ सिम्पल और ईजी ड्रेस में आना होता है। बड़ा अच्छा लगा इण्डिया में तो कैसा भी स्कूल हो टाई कोट वगैरा। हम पुछे दोनों बच्चों में अभी आकर कौन लड़ेगा आगे बैठने वह बोली यहाँ तो बच्चों को आगे बैठना मना है पीछे सीट बेल्ट के साथ।एक चीज और अच्छा लगा रोज सुबह तीनो बाप बेटों को सब्जी पराठा टिफिन में देती थी और रात को गरम दाल रोटी वगैरा।  पुजा बोली मामी शनि इतवार बाहर जो खाना हो खाते हीं हैं पर घर में अपना इण्डियन खाना तो खाना ही चाहिए। सुन कर अच्छा लगा,
3-4दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। संडे सुबह हमलोगो को LA के लिये निकालना था। पुजा लोगो को छुटी के कारन घुमने और बर्थ डे पार्टी में जाना था फिर भी सुबह उठ कर गरमा गर्म नास्ता कराकर एयर पोर्ट लेगई। संजय बोले हमतो प्लेन में बैठा कर ही वापस जायेंगे। जबतक सिक्युरिटी चेक नहीं हुआ तब तक हमलोगों के साथ अंदर तक गये।
क्रमशः










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