शनिवार, 9 फ़रवरी 2019

A TRIP TO KUMBH

                               आस्था का पर्व कुम्भ

              भारत एक आध्यात्मिक देश है। इस कारण यहाँ कई व्रत और त्यौहार और धार्मिक आयोजन बहुत ही भव्य रूप में मनाया जाता है। कुम्भ मेला भी इनमे से एक है। कुम्भ का आयोजन 525 ईसा पूर्व शुरू हुआ था। 617 -647 ईसवी में राजा हर्षवर्धन ने प्रयागराज में कुम्भ में हिस्सा लिया था और अपना सब कुछ दान कर दिया था।मकर संक्रांति से शिवरात्री तक कुम्भ स्नान चलता है। हर 6 साल में अर्ध कुम्भ और 12 साल में पूर्ण कुम्भ होता है।
  वैसे कुम्भ से जुडी बहुत सी पौराणिक मान्यता में से एक प्रमुख मान्यता देव और दानव का अमृत कलश के लिये युद्ध में कलश लेकर दौड़ते हुए अमृत का चार जगहों में छलकना है। गंगा (हरिद्वार ,प्रयागराज ),गोदावरी -नासिक और शिप्रा नदी उज्जैन में कुम्भ (घड़ा )से अमृत छलका था। 12 दिनों का युद्ध था। जिसे 12 साल माना जाता है। इसलिए चारों स्थानों में बारी बारी से हर 6 साल में अर्ध कुम्भ और हर बारह साल में पूर्ण कुम्भ का आयोजन होता है।
     इस वर्ष प्रयागराज (इलाहाबाद )में कुम्भ मेला का बहुत ही शानदार आयोजन किया गया। बहुत ही बड़े रूप में ,हर बार  10 किलोमीटर के एरिया में आयोजन होता था। इस बार 40 किलोमीटर के एरिया में इस का आयोजन किया गया। प्रशासन की और से बहुत ही अच्छा बंदोबस्त किया गया था। साफ -सफाई से ले कर चारो तरफ घाट, बिजली ,पानी हर तरह का इंतजाम था। कोई भगदड़ के लिये जगह ही नहीं था।नाव वालों का भी फिक्स रास्ता और रेट तय किया गया था जिससे तीर्थ यात्रियों को कोई असुविधा नहीं हो।
  इस वार मौनी अमावस्या जिसे सबसे बड़ा स्नान माना जाता है पांच करोड़ श्रदालु संगम स्नान किये पर भीड़ अलग -अलग घाट में बट जाने के कारण किसी को भी कोई असुविधा नहीं हुआ। शाही स्नान बालों का अलग घाट था। पुरे छेत्र में बहुत ही सुंदर -सुंदर अलग -अलग अखाडा का पंडाल बना हुआ था। इस बार  किन्नर पंडाल को भी जगह दिया गया था। हमलोग भी किन्नर अखाडा का दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिये।इलाहाबाद में भतीजा के रहने के कारण बहुत ही आराम से स्नान से लेकर छेत्र घूमना होगया। पुरे परिवार भाई -भतीजा बहु -बेटी सब मिलकर कुम्भ मेले का आनंद उठाये। बोटिंग करते हुए विदेशी पक्छियों को दाना भी खिलाये।
   वैसे तो इलाहाबाद में तीन बार कुम्भ स्नान ,हरिद्वार में एक बार और उज्जैन का मेले का तैयारी देखने मिला पर इस बार का कुम्भ मेला बहुत ही खास और यादगार रहेगा। बस अब नासिक कुम्भ ही बचा है प्रभु ईच्छा होगा तो वो भी हो जायेगा।भतीजा सुनील के कारण ही बहुत अच्छे से घूमना -फिरना हो गया। पूरा परिवार ही सेवा में 3 -4 दिन लगा रहा। 
    

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें