SUN,2 AUG
पिकनिक बचपन का
आज बच्चे लोग पिकनिक गये। सुबह उनकी तैयारी देख कर अपना बचपन का पिकनिक याद आगया। उनको भी बताये की हमलोग बचपन में पिकनिक जाते थे। डंड के महीने में तो वैसे सबों का मन पिकनिक मानाने का होता है। हमलोग भी हर साल रायपुर में पुरे परिवार और रिश्तेदार के साथ अपने फार्म हाउस में वन भोज का आयोजन करते है। सबों को इंतजार भी रहता है की कब दिसम्बर आये तो ( नानी,दादी ,मामी )पिकनिक का प्रोग्राम हो।
आज एक -एक कर बचपन का सब बात याद आते जारहा है। टाटा में डिमना डैम और जुबली पार्क दो जगह सबों का पिकनिक का फेवरेट पसंदीदा जगह है। बाबा का डिपार्टमेंट का और हमारे पुरे परिवार का पिकनिक जरूर होता था। डिपार्टमेंट का पिकनिक डिमना लेक में या चांडिल ,रांची के दसम फॉल वगैरा कहीं भी एक स्पॉट में होता था। हमलोग सुबह 5 बजे ही तैयार होजाते थे 6 बजे टेल्को कंपनी का ट्रक हर स्टैंड से सबों को पिक करते जाता था जिससे हमलोग 8 बजे तक पिकनिक स्पॉट पहुंच जाये। फिर तो दिन भर एकदम हर चीज का छुट खाओ ,पीओ अपना -अपना दल बनकर जंगल घुमो मजे करो। जंगल जलेबी (गंगा इमली )तोड़ो बेर तोड़ कर खाओ बस शाम को फिर खाना पीना ,चाय नास्ता सब हो जाने पर फिर ट्रक में बैठ कर वापस टेल्को जाना। ट्रक का सफर भी मजेदार रहता था। स्कूल कॉलेज तो बस में और परिवार के साथ कार में घूमना और ट्रक में सारे लोग एक साथ हला मचाते मस्ती करते जाना का मजा ही कुछ और ही होता था।
बाबा के चारो भाईयो के परिवार के साथ भी हमलोग पिकनिक जाते थे उसका मजा भी कुछ कम नहीं होता था।दादा -दादी ,काका -काकी ,सारे भाई -बहन बस फिर क्या बात मजा ही मजा।
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