TUE,3 AUG
                                                      भगवान कार्तिक (मुरुगन )
                        कुन्नूर  में   हमारे घर के सामने एक पहाड़ है ,पहाड़ क्या चारो तरफ चाय बगान और खुब बड़ा बड़ा सैकड़ों साल पुराना पेड़ है। और पेड़ों से घिरा हुआ एक प्राचीन मंदिर है। 5 0 -6 0 साल पुराना कार्तिक भगवान का मंदिर है। हमारे घर से मंदिर के शिखर का झंडा और रात को जलता हुआ लाइट दिखता है। एक दो बार जाने का कोशीश भी किये और ऊपर गए भी पर कठिन चडाई भी है और दर्शन भी नहीं हो सका। आखिर इस बार कुन्नूर आने पर मंदिर जाने का मौका भी मिला और दर्शन तथा पूजा भी करना हो सका। 
                   भगवान गणेश और कार्तिक का कहानी तो सभी हिन्दू जानते ही है। गणेश जी अपने माता -पिता का परिक्रमा कर के आशीर्वाद और फल प्राप्त कर के खुश हो गये थे और उनके बड़े भाई कार्तिक जी विश्व भ्रमण कर देर से लौटने के कारण अपने माता -पिता से नाराज हो कर दक्छिन दिशा की ओर चले गये थे। तब से ही दक्षिण में कार्तिक का ही मेन  मंदिर होता है और पूजे जाते हैं और गणेश का साइड में एक छोटा सा मूर्ती होता है। पूस महीने के पूर्णिमा में कार्तिक का स्पेसल पूजा होता है। पलनी (फ्लनी )में कार्तिक जी आये थे इसलिए कार्तिक जी का सबसे बड़ा और सुन्दर मेन मंदिर पलनी में है। सारे तमिलनाडु में पहाड़ के ऊपर जैसे उतर भारत में देवी का मंदिर होता है ,वैसे यहाँ कार्तिक का।
 कल उतर भारत में सावन होने  के कारण  सारे शिवालय में शिव भक्तों का ताँता था  वहीं यहाँ ऑडी  मास होने के कारण कार्तिक मंदिरो में भी पूजा था जिस कारन हमलोगों को भी दर्शन हो गया।




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