शनिवार, 22 अगस्त 2015

SAT,22 AUG

                                                       चार महीना कुन्नूर का 




                        4 महीने के बाद आखिर घूमते हुए रायपुर आही गये।कुन्नूर से बड़ा ही भारी मन से चले थे ,बहुत सारी खट्टी मीठी याद लेकर। बंच्चों के साथ नोक झोंक ,मस्ती करते हुए कैसे 4 महीना बीत गया पता ही नहीं चला। कुन्नूर से बांदीपुर होते हुये कर्नाटका होते हुए रायपुर आना हुआ। बांदीपुर के जंगल में तरह -तरह के जानवर देख कर मन प्रसन्न हो गया। कुन्नूर में तरह -तरह के फूल भी देखने मिला ,छोटी -छोटी चिड़ियाँ चाय बागान की सुंदरता। सब मिला कर मजे में समय बीत ही गया। अब अगले साल ही फिर जाना हो पायेगा। दो बेटा दो घर बस दोनों जगह घूमते आते जाते दिन बीत जाता है।  

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