WED,12 AUG
                                                                         एक प्याली चाय 
                          सुबह की चाय की चपास हर को होती।है। अँग्रेजों का दिया नाम बेडटी ,पहले लगता था ये क्या बात सुबह बासी मुहँ कोई कैसे चाय पीयेगा ओभी बिस्तर में ,रायपुर में तो सुबह की चाय बरामदे में झुला में बैठ कर पीना अच्छा लगता है। चाय पीते -पीते फुआरा देखना ,पौंड में तैरती रंगबिरंगी मछलियों को देखना। नील कमल देखना बड़ा अच्छा लगता है। 
         कुन्नूर में ठंड होने के कारण बेड में चाय पीने का मजा अलग है। सुबह खिड़की खोल कर ताजी हवा आने पर जंगली फूल का खुशबु लेना ,छोटी -छोटी तरह -तरह की चिड़ियों को फुदकते देखना बड़ा अच्छा लगता है। अब समझ आया सुबह की चाय को बेड टी क्यों बोला जाता है। ठंडी जगह में बेड में ही चाय पीना कितना आनंद का काम है। 





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