मंगलवार, 25 अगस्त 2015

KISHKINDHA

WED,26 AUG

                                                            किष्किन्धा   नगरी 

                   तुंगभद्रा नदी के किनारे पत्थरों ,चटानो वाला पहाड़ से घिरा किष्किन्धा नगरी का राजधानी अनीगुंडी था। रामायण काल में वाली का राजधानी यहीं था। जोकी पम्पा सरोवर तक फैला हुआ था। 
11 -12 सेंचुरी में विजय नगर के नाम से जाना जाने लगा। विजय नगर के राजा बहुत ही खुले वीचार के थे ,उनके काल में कल्चर ,लिटरेचर और व्यापर के लिये देश -विदेश से व्यापारी और लोगों का आनाजाना लगा रहता था। उस समय बार्टर ट्रेड का चलन था। घोड़ों का व्यापारी चीन से आते थे ,राजा और रईसों को घोडा बेच कर बदले में हीरा -सोना वगैरा लेजाते थे। 
     बहुत ही भव्य शहर था। मंदिरो में भी चीनी व्यपारियों का मूर्ती खुदा हुआ है। यहाँ शिव ,गणेश और विष्णु जी का भव्य मंदिर बना हुआ है। अब ना तो रामायण काल  है ,और ना तो राजा का राज रहा अब तो बस खण्डरों का देश रह गया है।अब तो कर्नाटक के बेलारी जिले के होस्पेट तालुक में है। होस्पेट से हम्पी जाने पर ही इस जगह को देख पाएंगे। 





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