THU,29 OCT
नैरोबी से मोम्बासा ट्रेन से
केन्या के नैरोबी से मोम्बासा का सफर ट्रेन से करने का मौका मिला। वैसे तो हवाई जहाज से कुछ ही घंटों में पहुँच सकते हैं ,पर ट्रेन से रात भर का टाईम लगता हैशाम को6 बजे चल कर सुबह 10 बजे तक पहुंचे। मोम्बासा में बहुत टूरिस्ट आते है समंदर किनारे होने के कारन धूप सेकने आराम करने। वैसे तो देश विदेश बहुत जगह का समुन्दर में घूमे और छुट्टी वितायें पर यहाँ आने का कारन कुछ और ही था। ट्रेन जंगल के बीच से गुजरती है ,और अफ्रीकन जानवरों को घूमते देख सकते है।
इस ट्रेन की एक बात कुछ खास ही लगा। 6 बजे शाम को हमारा ट्रेन चला शाम 7 बजे एक कर्मचारी घंटी बजाते हुये हर कूपे से गुजरा। डाईनिग में रात का भोजन खाने के लिये ,डाईनिग में जाने पर क्या देखते है पूरा रेस्टुरेन्ट जैसा 4 -5 कोर्समें खाना परोसा जा रहा है।डिनर के बाद जब कूपे में पहुंचे तो देखते है बिस्तर तैयार है। एक बात और केन्या के ट्रेन में लॅडीस और जेंट्स यदि अकेले सफर कर रहें हो तो मिक्स नहीं अलग -अलग कूपे और पेअर को अलग कूपे मिलता है।
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नैरोबी से मोम्बासा ट्रेन से
केन्या के नैरोबी से मोम्बासा का सफर ट्रेन से करने का मौका मिला। वैसे तो हवाई जहाज से कुछ ही घंटों में पहुँच सकते हैं ,पर ट्रेन से रात भर का टाईम लगता हैशाम को6 बजे चल कर सुबह 10 बजे तक पहुंचे। मोम्बासा में बहुत टूरिस्ट आते है समंदर किनारे होने के कारन धूप सेकने आराम करने। वैसे तो देश विदेश बहुत जगह का समुन्दर में घूमे और छुट्टी वितायें पर यहाँ आने का कारन कुछ और ही था। ट्रेन जंगल के बीच से गुजरती है ,और अफ्रीकन जानवरों को घूमते देख सकते है।
इस ट्रेन की एक बात कुछ खास ही लगा। 6 बजे शाम को हमारा ट्रेन चला शाम 7 बजे एक कर्मचारी घंटी बजाते हुये हर कूपे से गुजरा। डाईनिग में रात का भोजन खाने के लिये ,डाईनिग में जाने पर क्या देखते है पूरा रेस्टुरेन्ट जैसा 4 -5 कोर्समें खाना परोसा जा रहा है।डिनर के बाद जब कूपे में पहुंचे तो देखते है बिस्तर तैयार है। एक बात और केन्या के ट्रेन में लॅडीस और जेंट्स यदि अकेले सफर कर रहें हो तो मिक्स नहीं अलग -अलग कूपे और पेअर को अलग कूपे मिलता है।
सुबह 7 बजे फिर घंटी बजा नाश्ते के लिये।दो घंटा आराम से नाश्ते का मजा लेते हुये बाहर का सीन का मजा तरह -तरह का जानवर जिराफ जीब्रा वगैरा देखते हुए कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। जैसे हमारे यहाँ गाय बकरी चरते रहती है .
दोपहर को मोम्बासा सिटी आगये ,शाम का ट्रेन था। एक होटल गये एक -दो घंटे का टाईम था ,वहाँ क्या देखते हैं सारे लोकल लोग टीवी में हिन्दी गाने का मजा ले रहे है ,जब की समझते नहीं है। देख कर अछा लगा बम्बईया फिल्म का कमालशाम को ट्रेन से वापस नैरोबी आगये खाते पीते जानवर देखते।
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