सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

CHINA TRIP

MON,5 OCT
                                                                     चीन यात्रा 

                        अब कुछ बातें चीन की ,2004 में चीन जाने का मौका मिला। करीब 25 -30 दिन चीन के भिन्न -भिन्न शहरों ,प्रांतो ,नगरों में घूमने का अवसर मिला। संघाई ,बीजिंग और डेलीयन आदि जगहों में घुमेन। बड़ा -बड़ा महल म्युजीयम चौक चौराहा सभी बहुत ही भव्य सुन्दर साफ सुथरा ,हर तरह से अच्छा और देखने योग्य। पर 2 -3 बात बहुत ही अच्छा लगा। एक तो चीन के लोग मेहनती ,दूसरा कोई भी काम को छोटा बड़ा नहीं समझना उनका तरक्क़ी का राज यही है। हमारे देश की तरह अतिथि सत्कार करना। यरोप अमेरिका से एकदम भिन्न कल्चर। 
         संघाई के पास जिनहुआ प्रान्त में एक बड़ा दुर्गम पहाड़ में एक गुफा मिला ,गुफा के अंदर एक पतला बोट में लेट कर अंदर जाना पड़ता है। इस गुफा में बारोमहीना चूना पत्थर का पानी टपकते रहता है और ओ शिवलिंग का रूप लेलेता है। डंड होने के कारण ओ जमा रहता है। छोटे -बड़े हजारों के तदाद में साल भर दिखता हे और टूरिस्ट आकर देखते हैं अमरनाथ जैसा। 
   डेलीयन में एक और इंटरेस्टिंग नजारा देखने मिला। चीन में शुभ मुहूर्त तिथि वार नहीं मानते है और शादी करना हो तो रजिस्टर करवाना होता है हमलोग जिस दिन डेलीयन में थे उस दिन शादी का नजारा देखने मिला। पूरे शहर में सफेद गाउन मेंजोड़ा घूम रहा था बड़ेसे काले लिमोजीन कर में अपने मित्रों के साथ पुरे सहर में घूमना होटल में दावत देना फिर अपने अपने घर जाना। हो गया शादी। 
 चीन के xiaman प्रात में एक और बात बड़ा अच्छा लगा ,छोटा सा गावँ था वहां जिस होटल में ठहरे थे वहां सिर्फ एक लड़की को अंग्रेजी और कंप्यूटर अत था वह टूरिस्ट का मदद करती थी बाकी टाईम में होटल में झाड़ू पोछा और सब तरह का छोटा बड़ा काम करती थी। हमारे देश में थोड़ा भी पढ़ालिखा होने पर छोटा काम नहीं करते हैं। चीन का तरक्क़ी का राज यही है। उसी गावं में एक गरीब रिक्शावाला मिला उसे अंग्रेजी समझ नहीं आता था हमें खाने जाना था वह हमें इसारे से रिक्शे में बैठाया और एक रेस्टुरेंट में लगाया एक लड़की बहार आई रिक्शावाला कुछ उसे बोला वह बहुत खुश हुई और बताई की ये मेरे पिताजी है और मै अंग्रेजी सीख रही हूँ ,कोई झीजक नहीं बताने के लिये की मैं रिक्शावाला की बेटी हूँ। चीन का आगे बढ़ने और तरक्क़ी करने का यही राज है। मालिक नौकर छोटा बड़ा सब बराबर। 





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