TUE,27 OCT
मॉरिशस में शिव
बात बहुत पुरानी है ,हमलोग 1994 में दक्छिन अफ्रीका जा रहे थे। रायपुर से जब घर से निकले तो माँ (सास )बोली तुमलोग विदेश घुमने जा रहे हो रास्ते में कोई तीर्थ मिले तो दर्शन कर लेना। हाँ तो बोल दिए पर जब ट्रेन में बैठे बॉम्बे से फ्लाईट लेना था ,तो माँ के भोलेपन पर हमलोगों को बहुत हँसी आई। अब विदेश में कौन सा तीर्थ मिलेगा।
माँ -बाप दिल से ही आशीर्वाद देते हैं और वो जरूर पूरा होता है। संजोग देखिए अफ्रीका से सीधे नहीं आकर मॉरिशस होकर आने का प्रोग्राम बना कर आगे बड़ गये। मॉरिशस में 2 -3 दिन घूम कर वापस एयरपोर्ट के लिये निकले। सुबह निकले थे और फ्लाईट देर रात का था। टैक्सी वाले को बोले सिटी ,समुंदर किनारा,शूटिंग प्लेस सब तो घूम ही लिये हाँ और देर रात को एयरपोर्ट जाना है कुछ नया और हो तो घुमा कर रात को छोड़ देना।
सिटी के बाहर टी गार्डन ,गन्ना का फार्म घुमाने लगा ,अब क्या देखते है की बहुत सारे कांवरिया दल के दाल बहुत ही सुन्दर -सुन्दर फूलों से सजा काँवर लेकर जा रहे हैं। हमलोगों ने टैक्सी वाले से पूछा ये क्या है और कहाँ जारहें हैं उसने बताया आज शिवरात्री है ये दूर पहाड़ में जा रहें है वहाँ गंगा ताल से जल लेकर शिव जी में जल चढ़ायेंगे।
अरे ये क्या यहाँ शिवजी कहाँ से आगये और गंगाजी कहाँ मिल गई। पता चला यहाँ के लोग 13 वां ज्योतिर्लिंग मानते हैं। 11 भारत मैं ,1 नेपाल में और 13 वां यहाँ। अभी तक तो 12 ही जानते थे। टैक्सी वाला बोला आपके पास तो बहुत टाईम है आपको घुमा कर दर्शन करवा कर रात को आराम से पहुँचा सकते है। बस क्या था हमलोग चल पड़े।
ये तो पता था की अंग्रेजों के ज़माने में सैकडों साल पहले बिहार से जहाज भर -भर कर मजदुर यहाँ लायागया था और वे लोग 3 -4 पीढ़ी से यहाँ पर हैं। पर चलो अच्छा ही हुआ शिव रात्री होने के कारण ये भी नजारा देखने और दर्शन करना भी होगया। शुद्ध हिन्दुस्तानी लंगर भी खाने मिला और लगा अपने देश में ही कोई उत्सव मना रहें है। पता चला हर साल बनारस से पंडित आकर पूजा कराते हैं। उस पहाड़ में खुब बड़ा हनुमान जी का भी मूर्ती और मंदिर देखने का मौका मिला।सब मिला कर बड़ा ही अच्छा लगा और माँ का बात भी रहगया। यहाँ आना सफल होगया ,घूमना का घूमना और एक तीर्थ का तीर्थ भी होगया।
वापसी में जब हमारा प्लेन मेडागास्कर के ऊपर से उड़ा तो वाह क्या सीन था ,दूर दूर तक जल ही जल..
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