शुक्रवार, 18 जून 2021

#MALABAR GIANT SQUIRREL#INDIAN GIANT SQUIRREL#ORIENTAL GAINT SQUIRREL

                     मलाबार विशाल गिलहरी 

                   मलाबार गिलहरी सतपुड़ा रेंज एवं पूर्वी घाट तथा पश्चमी घाट में बहुतायत से पाया जाता है। वैसे तो छोटी सी भूरे रंग वाली  गिलहरी हर जगह देखने मील ही जाती है, पर मलाबार गिलहरी बहुत ही खास है जो की बहुत ही सुन्दर और बड़ी होती है।इसका मुहँ तो चूहा जैसा होता ही पर बदन मुँह से बड़ा और बदन से बड़ा पूंछ होता है। रंग भी इतना सुन्दर की देखते ही रह जाओ। लाल मरून काला रंग मिला हुआ एकदम फर दार होता है। मुहं से पूँछ तक की लम्बाई करीब 2 फ़ीट और वजन करीब 2 -3 किलो का होता है। गिलहरी पेड़ों में 6 मीटर से ज्यादा छलांग लगा कर कूदती फांदती रहती है।  घने सदाबाहर ऊँचे ऊँचे पेड़ों वाले जंगल में अपना घोसला बना कर रहती है। 10 -12 फ़ीट ऊँचे पेड़ के एकदम टॉप पर ही अपने सुरक्छा के हिसाब से घोसला बनाती है।सुबह शाम काफी एक्टिव रहती है ,और दोपहर को अपने घोसले में विश्राम करती है। घोसला भी अनेक पेड़ों में अनेक बनाती है कॉलोनी जैसा। मादा गिलहरी नर गिलहरी से थोड़ी बड़ी होती है। गिलहरी शाकाहारी होती ,पौधे के फल ,फूल ,नट ,बीज ,छाल आदि खाती है।गिलहरी स्तनपाई होती है।बीज ,नट आदि आपस में बांट कर खाती है।  इसके तेज जम्प करके एक पेड़ से दूसरे पेड़ में कूदने के कारन इसे उड़ने वाली गिलहरी भी बोला जाता है।ये जितनी सुन्दर है, इसकी आवाज उतना ही तेज और कर्कश होता है ,बहुत तेज एकदम ठन ठन। सुबह बहुत ही ज्यादा शोर करती है। समझ आजाता है की भोजन के तलाश में घोसले से बाहर निकल कर पेड़ों में कूदना  शुरू हो गया है।  ग्रीक शब्द स्कियरोस से इसका नाम  स्क्विरल पड़ा है। बंदरो से इसकी जरा भी नहीं पटती है। दोनों अपने एरिया से एक दूसरे को भागदेते है। इन दोनो की मस्ती देखते ही बनती है। कुन्नूर में घने जंगल के बीच घर होने का यही फायदा है की मलाबार गिलहरी की मस्ती घर बैठे ही देखने मील जाता है।    




 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें