गढ़ कलेवा
छत्तीसगढी खान पान परिसर
रायपुर शहर के बीचोबीच महंथ घासीदास स्मारक संग्राहलय में एक पारंपरिक छतीसगढी व्यंजन का खान पान स्थल है। इस गढ़ कलेवा की स्थापना 26 जनवरी 2016 को की गयी थी। पूरा माहौल एक ग्रामीण परिवेश में तैयार किया गया है। गढ़ कलेवा का संचालन मोनिषा महिला स्वसहायता समूह नामक एक संस्था द्वारा किया जा रहा है। यहाँ काम करने वाली अधिकांश कर्मचारी महिलाएं है। संस्था द्वारा जहाँ नाश्ता ,मिठाई और भोजन उचित मूल्य में मिलता है ,वहीं संस्था द्वारा निर्मित बड़ी ,पापड़ ,अंचार और पारम्परिक मीठाईयाँ भी ताजा ताजा हफ्तों चलने वाला उचित मूल्य में खरीद सकते है।
अब बाबा जब रायपुर आ ही गए है तो उनका वेलकम छत्तीसगढ़ी व्यंजन से गढ़ कलेवा में करवाना भी उचित था। वैसे भी पूरा परिसर एकदम पारीवारिक पारम्परिक माहौल में है। गर्मी की शाम पेड़ के नीचे ग्रामीण माहौल ,पारम्परिक भोजन वो भी उचित मूल्य में ,सबों ने नाना प्रकार के व्यंजन का लुफ्त उठाया। सबो को बहुत ही मजा आया। वेलकम का वेलकम पार्टी का पार्टी एक यादगार खुशनुमा शाम का उपयोग भी हो गया।
छत्तीसगढी खान पान परिसर
रायपुर शहर के बीचोबीच महंथ घासीदास स्मारक संग्राहलय में एक पारंपरिक छतीसगढी व्यंजन का खान पान स्थल है। इस गढ़ कलेवा की स्थापना 26 जनवरी 2016 को की गयी थी। पूरा माहौल एक ग्रामीण परिवेश में तैयार किया गया है। गढ़ कलेवा का संचालन मोनिषा महिला स्वसहायता समूह नामक एक संस्था द्वारा किया जा रहा है। यहाँ काम करने वाली अधिकांश कर्मचारी महिलाएं है। संस्था द्वारा जहाँ नाश्ता ,मिठाई और भोजन उचित मूल्य में मिलता है ,वहीं संस्था द्वारा निर्मित बड़ी ,पापड़ ,अंचार और पारम्परिक मीठाईयाँ भी ताजा ताजा हफ्तों चलने वाला उचित मूल्य में खरीद सकते है।
अब बाबा जब रायपुर आ ही गए है तो उनका वेलकम छत्तीसगढ़ी व्यंजन से गढ़ कलेवा में करवाना भी उचित था। वैसे भी पूरा परिसर एकदम पारीवारिक पारम्परिक माहौल में है। गर्मी की शाम पेड़ के नीचे ग्रामीण माहौल ,पारम्परिक भोजन वो भी उचित मूल्य में ,सबों ने नाना प्रकार के व्यंजन का लुफ्त उठाया। सबो को बहुत ही मजा आया। वेलकम का वेलकम पार्टी का पार्टी एक यादगार खुशनुमा शाम का उपयोग भी हो गया।
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