मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

WORLD IS SPHERICAL

                      NORTH  POLE  TO  SOUTH  POLE

                                     दुनिया  गोल है

                दुनिया की सैर करीब 30 -35 सालों से कर रहे है।कश्मीर से कन्याकुमारी हो या ग्लोब का चक्कर ,सभी कॉन्टिनेंट ,सभी महासागर ,आर्कटिक हो या अंटार्टिक बस घूमे जा रहे है।
     आज से करीब 50 -60 साल पहले तक छुट्टियों में नानी -दादी के घर ,या अपने प्रान्त के किसी रिश्तेदार के घर में किसी उत्सव में ही जाने का रिवाज था। घर के बड़े बुजुर्ग तीर्थ यात्रा करते थे। उस ज़माने में साधन भी नहीं था ,और रिवाज भी नहीं था। अब तो बच्चे लोग अपने विद्यार्थी जीवन में कई जगह स्कूल से और कुछ अपने परिवार के साथ घूम लेते है।
        हम बहुत ही लक्की है की शादी के बाद से ही भारत तो भारत विदेश में नार्थ पोल से साउथ पोल पूरा ग्लोब का राउंड लगा डाले है। पहले दिल्ली -बॉम्बे ही बहुत दूर लगता था। नार्थ पोल का कॉड फिश और साउथ पोल का पेंगुइन भी देख लिये। ऑस्ट्रेलिया में कंगारू ,ऑस्ट्रिच इत्यादी।
   नार्थ पोल में नॉर्वे का लास्ट शहर होनिग्सवाग जो की आर्कटिक सर्कल के सबसे करीब है ,और जहाँ सालों भर बर्फ जमा रहता है और ठण्ड होता है। 6 -6 महीना का दिन और रात होता है। वहाँ का भी राउंड लगाए ,जिसका सर्टीफिकेट भी मिला।
   साउथ पोल में अर्जेंटीना का लास्ट शहर उशुआइया जिसे वर्ल्ड का लास्ट शहर बोला जाता है। जो की अंटार्टिक सर्कल के करीब हे। यहाँ भी बारो महीना बर्फ और ठण्ड होता है। यहाँ भी 6 -6 महीना का दिन और रात  होता है। वहाँ का भी राउंड लगा लिये और उसका भी सर्टीफिकेट मिला।
        भारत के नार्थ ईस्ट में अरुणाचल के तवांग में घूमे उसका भी सर्टीफीकेट मिला।
     दोनों ध्रुवों में भले ही ठण्ड हो और रात  दिन 6 -6 महीना का होता है। और चाँद और सूरज भले ही 6 -6 महीना नहीं दिखता है पर एक ध्रुव तारा ही ऐसा  है जो की बारहों महीना और तीसों दिन दोनों ध्रुव से दीखता है।
    हमलोगों के पौराणिक कहानी में भी ध्रुव तारा का जिक्र है की आसमान में हमेशा ध्रुव तारा चमकता है। हमारे पूर्वजों, रिषी, मुनि कितने ज्ञानी विज्ञानी थे की उन्हें भी ग्रह नछत्र का उस ज़माने से जानकारी थी ,और वे कहानी के रूप में ग्रंथों में इसका जिक्र करे थे।











         

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