सोमवार, 1 अप्रैल 2019

RANKINI MANDIR KADMA JAMSHEDPUR

                      रंकिणी मंदिर कदमा

           कदमा की रंकिणी मंदिर जागृत शक्तिपीठ है। साल भर मंदिर में भक्त आते है माता काली की पूजा करते हैऔर मनोवांछित फल पाते है। दोनों नवरात्री में कलश स्थापित कर माता का विधि -विधान से पूजा -अर्चना की जाती है।
    मंदिर जमशेदपुर बनने के पहले से ही था। 1907 में तब कदमा जंगलों के बीच में था ,और माता का मंदिर झोपड़ीनुमा छोटा सा था।1948 में हलधर बाबू और रामा राव बाबू के देखरेख में मंदिर का विस्तार कर एक भव्य मंदिर बनवाया गया। रंकिणी देवी मंदिर के गर्भ में छोटे रूप में स्वयं प्रगट हुई थी। उस ज़माने में काली और रंकिणी माता का मट्टी की मूर्ती था उसी का पूजा होता होता था।14 फरवरी 1964 को कलकत्ते से काली जी की प्रतीमा मंगवा कर प्रगट मूर्ती के बगल में प्राणप्रतिष्ठा किया गया। मंदिर में बजरंगवली ,रामजानकी ,राधाकृष्ण ,शीतला माँ ,नवग्रह ,गणेश कार्तिक ,पुरे शिव परिवार की प्रतीमा स्थापित है। ओडीशा से 2 . 5 टन का ग्रेनाइट के एक पत्थर का शिव लिंग मंगवा कर स्थापित किया गया है।
   बचपन में दुर्गापूजा में दादी बोलती थी चल लंकिनी (रंकिणी) मंदिर घूम आये। हमलोग को लगता था की लंका का देवी का मंदिर है। हमलोग बोलते भी थे रावण का मंदिर है नहीं जायेंगे। और घूम कर आजाते थे. बहुत बाद में पता चला लंका से इस मंदिर का कुछ लेना देना नहीं है। ये तो काली जी का मंदिर है और दादी रंकिणी को लंकिनी बोलती है। जमशेदपुर के बारे में कुछ भी लिखो बचपन का कोई ना कोई  घटना याद आ ही जाता है।










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