TURTLE HATCHERY
कछुआ का पालन गृह
बेनटोटा में समुन्दर किनारे टर्टल हेचरी देखने मिला। हमारे लिये एकदम नया अनुभव था। समुन्दर के किनारे -किनारे करीब -करीब 15 -20 हेचरी है। हर साल पाँच प्रकार के कछुए तट में अंडे देने आते है ,और अंडे दे कर वापस पानी में चले जाते हैं।यहाँ के तट रक्छक और मेरीन वालों ने अंडा और कछुआ बचाने का बड़ा ही अच्छा इंतजाम कर रखा है। हेचरी वालों को स्पेसल लाइसेंस दिया गया है। हेचरी वालों का काम है की जब कोई कछुआ किनारे अंडा देने आता है तो उसका ध्यान रखना और तट रक्छक को बताना।
जब कछुआ अंडा देती है तो ऑफिसर आकर गिनते है। अंडा एक बार में कम से काम 100 -125 होता है। अंडा हेचरी वालों को पालने और सँभालने दे देते है। अंडे को एक मीटर रेत के अंदर रख कर ढँक दिया जाता है। एक सप्ताह के बाद उस मे से बच्चा बाहर आ जाता है।ऑफिसर फिर गिनती करते है की कोई नुकसान या चोरी तो नहीं हुआ है। फिर 2 -4 बच्चों को छोड़ कर बाकी समुन्दर में आगे की यात्रा के लिये डाल दिया जाता है। वैसे समुन्द्र से कभी -कभी बीमार या शिकारियों के कब्जे से छुड़ा कर लाया बड़ा कछुआ भी ला कर इन हेचरी वालों को दिया जाता है और उनका डॉक्टरों से इलाज करवाया जाता है। जब वे कछुए स्वस्थ हो जाते है तो उन्हें भी पानी में छोड़ा जाता है। एक साथ अंडा ,रंग -बिरंगा छोटा बड़ा अलग -अलग प्रजाति का कछुआ एक जगह में एक साथ देखने मिल गया।
ये तो अंडा से बच्चा और फिर जल में छोड़ने की प्रक्रिया है। पर वहाँ एक और नया चीज देखने और समझ ने मिला। वहाँ 15 -20 चीनी विद्यार्थी हेचरी की साफ -सफाई ,कछुओं को खाना देना ,सेवा करना वगैरा कर रहे थे। पता चला हर साल 20 -25 विद्यार्थी यहाँ आते है महीना भर रहकर रिसर्च करके वापस चले जाते है। और टूरिस्ट भी ये सब देखते और समझते है। इस लिये कुछ अंडा और कुछ कछुआ ऑफिसर छोड़ के जाते है। पर हर कछुए के अंडे और बच्चों वगैरा पर निगरानी और गिनती होते रहता है जिससे इन्हे कोई नुकसान नहीं हो। एक पंत दो काज हो जाता है संरक्छन ,पढ़ाई और टूरिस्ट का घूमने और जानने समझने का एक पाईंट। हमारे लिये तो एकदम नया एक्सपीरियंस था। अब हम घूमते हुए आगे के सफर के लिये चल पड़े।
क्रमशः
क्रमशः
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