मंगलवार, 22 अगस्त 2017

COLOMBO TO KANDY

                                                    कोलंबो   से  कैंडी की यात्रा     


                                           कोलंबो लैंड करते ही शहर देख कर दंग रह गये। इतना बड़ा, साफ सुथरा और सुन्दर होगा सोचें भी नहीं थे। एकदम किसी भी बड़े देश के मेट्रो जैसा। हमारा टूर कोलंबो से कैंडी की ओर बड़ा। रास्ते भर रोड के दोनों ओर छोटा गांव हो या बड़ा एकदम व्यवस्थित ,साफ सुथरा। हर गांव में एक अलग समान ,दूसरे गांव में दूसरा कोई भी सामान रिपीट नहीं हुआ। फल तो फल  खिलौना तो खिलौना ,मट्टी  का सामान हो या प्लास्टिक बस उस जगह वही आईटम  दिखा एकदम वेल प्लान्ड सिटी। जितना अच्छा लगा उतना ही अजूबा। कुछ -कुछ केरल जैसा  लग रहा था की केरल घूम रहें हैं। 
           
                                                                           कैंडी 

                   कैंडी यहाँ का दूसरा बड़ा ऐतिहासीक शहर है कोलंबो के पहले यहीं राजधानी था। ये शहर सेंट्रल प्रोविन्स में है। टेम्पल ऑफ़ दी टूथ रेलिक बुद्धिस्ट मंदिर यहीं है जो की यूनेस्को के वर्ल्ड हेरीटेज साईट में है। यहाँ बुद्ध मंदिर होने के कारण  चीनी जापानी और थाई टूरिस्ट बहुत आते है। 

                                          TEMPL OF  THE  SACRED  TOOTH  RELIC

                    कैंडी में  सैकड़ों साल पुराना राजा के महल के प्रांगण में भगवान बुद्ध का बहुत ही बड़ा गोल्डन रूफ वाला मंदिर है।इस मंदिर की खासियत ये है की बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद उनके एक भिक्छु ने भगवान का एक दांत कैंडी लाया था। इस मंदिर के एक प्रकोष्ट में दांत रखा गया है। रोज दिन में तीन बार औषधीय गुणों वाला सेंटेड जल से स्नान करा कर पूजा किया जाता है। बुद्ध के दांत वाला मंदिर होने के कारण  ही इस मंदिर का बहुत महत्त्व है ,और बहुत पवित्र माना जाता है। 
                         सैकड़ों सालों से इस मंदिर में ये प्रथा है की राखी पूर्णिमा के दिन जिसे ये लोग पोउ डे बोलते है मंदिर के प्रांगण से सैकड़ों हाथियों को सजा कर बैंड ,बाजा  ,नृत्य ,खेल ,तमाशा आतिशबाजी करते हुऐ हाँथी का जुलूस निकालते हैं। जिसे पेरिहारा फेस्टिवल बोला जाता है। इस उत्सव में पुरा देश- विदेश के लोगों के अलावा मंत्रीगण ,प्रेसीडेंट वगैरा भी भाग लेते है। शाम से जुलुस  शुरू होकर अर्ध रात्री तक चलता है। मंदिर के प्रांगण से  जहाँ से परेड गुजरता है रोड के दोनों और लाईन से सारे  लोग बैठ जाते है जब तक जुलुस गुजर नहीं जाता। हमलोग भी इस उत्सव का आनंद उठा पाये क्योंकि पूर्णिमा का दिन था। कुछ कुछ केरल के ओणम में हाथी का जुलुस जैसा। 
                                                                                                                                                    क्रमशः

















                        





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