ART MUSEUM OF MADRAS REGIMENTAL CENTRE
    
         
                                      मद्रास रेजिमेंटल में  आर्ट म्यूजियम 
           अरुणाचल के गवर्नर 2019 अप्रैल को म्यूजियम का उद्धघाटन किए थे।मद्रास रेजिमेंट आजादी के पहले 1750  में  ब्रिटिश इंडियन आर्मी के समय का बना हुआ है।ये  म्यूजियम अपने ड्यूटी में मरे हुए सोल्जर के याद में उनके ग्लोरी को दर्शाता है।कुन्नूर के वेलिंगटन में नागेश बैरक्स काम्प्लेक्स के बगल में ये म्यूजियम बना हुआ है।वैसे बैरक्स में आम  लोग जा नहीं सकते है पर म्यूजियम में बैरक्स के अंदर का मॉडल बना हुआ है।1750  का अंग्रेजो द्वारा बना आज भी वैसा का वैसा है और डिटेल में समझाते है की अंदर कहाँ -कहाँ क्या क्या होता था और अब क्या होता है।   इस म्यूजियम में प्रथम विश्व युद्ध ,सेकेंड विश्व युद्ध से लेकर चाइना वॉर पाकिस्तान वॉर,सियाचीन ग्लेशियर , हर समय काल का विवरण से लेकर उस समय का अस्त्र -शस्त्र ,पेंटिंग ,पोट्रेट ,कल्चर ,संस्कृति  ,इतिहास सभी कुछ इस म्यूजियम में देखने मिल जायेगा। 
     मद्रास रेजिमेंट बनने के बारे में  म्यूजियम में आकर देख कर बहुत सारा नया बात भी पता चला।अंग्रेजो के जाने के बाद केरल ,तमिलनाडु ,कर्णाटक ,ट्रावन्कोर ,आंध्रा आदि पांचो स्टेट के राजाओंने ने मिलकर एग्रीमेंट बना कर मद्रास रेजिमेंट को दान और देखभाल आदि की जिमेदारी ली। आज भी त्रिवेंद्रम के मंदिर का सालभर का आधा चढ़ावा और  ट्रावनकोर के मंदिर के सालभर का पूरा चढ़ावे को इस रेजीमेंट के सोल्जर के बच्चों  के पढ़ाई ,उनके परिवार के देख भाल की जिम्मेदरी के लिये दान दिया जाता है।
    म्यूजियम देखने के बाद बहुत ही अच्छा एक्सपेरिएंस हुआ बहुत कुछ जानकारी मिला। अंदर एक ऐसा पुतलों का  श्रंखला बना हुआ है जो बहुत ही रोचक और मार्मिक दिल को छूलेंने वाला है। एक माँ अपने छोटे से बच्चे को गोद में ली हुई हैऔर उसे ऊपर देखने का इशारा करती है।  आगे दूसरा थोड़ा बड़ा बच्चा का पुतला है, उसके बाद बच्चा बड़ा होकर सोल्जर बनने का पुतला है ,उसके बाद उसके शहीद होने का पुतला है। माँ को पता है की बेटा बड़ा होकर यदि सैनिक बनेगा तो  शहीद भी होगा, फिर भी अपने बच्चे को सेना में भेजने को तैयार है, अपने देश की सेवा करने के लिये,माँ की कल्पना का दृश्य  वास्तव में सराहनीय है।





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