आयुध पूजा
दक्षिण भारत में नवरात्री के नवमी तिथिऔर दसवीं को अस्त्र -शस्त्र का पूजा होता है। हमलोग जैसे विश्वकर्मा पूजा 17 सितम्बर को करते है वैसे ही यहाँ औजार ,कार ,सारे वाहनों का पूजा की जाती है।ऑफिस में सरस्वती ,गणेश और देवी माँ की पूजा करते है। आयुध पूजा कुछ -कुछ विश्वकर्मा और कुछ दिवाली जैसा पूजा होता है। पूजा के बाद सारे वाहनों के सभी चक्कों के आगे नीम्बू रखा जाता है और उसके ऊपर से एक साथ वाहनों को गुजारा जाता है। जिसके पीछे कारण ये होता है की सारा अला -बला टल जाये। देखने में भी अच्छा लगता है। इस पूजा में उबला चना (संदल)का प्रसाद ,गन्ना ,लाई -बतासा इत्यादी चढ़ाया जाता है।
दक्षिण भारत में नवरात्री के नवमी तिथिऔर दसवीं को अस्त्र -शस्त्र का पूजा होता है। हमलोग जैसे विश्वकर्मा पूजा 17 सितम्बर को करते है वैसे ही यहाँ औजार ,कार ,सारे वाहनों का पूजा की जाती है।ऑफिस में सरस्वती ,गणेश और देवी माँ की पूजा करते है। आयुध पूजा कुछ -कुछ विश्वकर्मा और कुछ दिवाली जैसा पूजा होता है। पूजा के बाद सारे वाहनों के सभी चक्कों के आगे नीम्बू रखा जाता है और उसके ऊपर से एक साथ वाहनों को गुजारा जाता है। जिसके पीछे कारण ये होता है की सारा अला -बला टल जाये। देखने में भी अच्छा लगता है। इस पूजा में उबला चना (संदल)का प्रसाद ,गन्ना ,लाई -बतासा इत्यादी चढ़ाया जाता है।
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