रविवार, 8 जुलाई 2018

SIDDHIVINAYAK MANDIR

                                   सिद्धिविनायक मंदिर

            मुंबई 40 साल से आना -जाना लगा ही रहता है ,पर पता नहीं कैसे सिद्धीविनायक मंदिर जाना नही हो पाया था। इस बार मंदिर जा पायें। 18 वीं  सदी का बना भव्य मंदिर देखे गणपती जी का दर्शन भी किये और मोदक का प्रसाद भी प्राप्त हुआ।
    मंदिर 5 मंजिला है ,गर्भ गृह करीब 10 फीट ऊँचा और 13 फ़ीट चौड़ा है। गणपती जी का विग्रह चतुर्भुजी है। गर्भगृह का शिखर स्वर्ण का और मंडप चांदी का है, गर्भ गृह में अष्टविनायक ,अष्टलष्मी और दशावतार की आकृति चित्रित है।गणपति जी के ऊपरी दाएं हाँथ में कमल पुष्प ,बाएं हाँथ में अंकुश ,नीचे के दाहिने हाँथ में माला और बाएं हाँथ में मोदक से भरा कटोरा है। गणपती का सूंड़ दाई ओर मुड़ा है। गणेश जी की दोनों पत्निया रिद्धी ,सिद्धी भी दाएं -बाएं मौजूद है। जो की धन ,ऎश्वर्य ,सफलता ,मनोकामना पूर्ण करने का प्रतीक है। गणेश जी के गले में सर्प और मस्तक में शिव जी जैसा त्री नेत्र भी बना है।
     कहा जाता है की बिना भगवान के बुलाये दार्शन नहीं होता है। 40 साल बाद ही सही रीता के कारण सिद्धिविनायक मंदिर जाने का मौका मिला। भगवान रीता का भला करे।




           

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