भगवान चले मौसी के घर
पुरी का रथ यात्रा वर्ल्ड फेमस तो है ही ,लेकिन पुरे भारत में करीब -करीब हर जगह भगवान जगन्नाथ का मंदिर है, और हर मंदिर से अषाढ़ के दूज को भगवान का रथ निकाला जाता है। रथ भी खास काष्ट से बनाया जाता है और उसमें किसी धातु का इस्तमाल नहीं किया जाता है। राजा के ज़माने में रथ के आगे राजा झाड़ू लगाते थे फिर रथ को यात्रा के लिये आगे बढ़ाया जाता था। अब राजा तो है नहीं फिर भी शहर प्रमुख CM या गणमान्य लोग झाड़ू करते है फिर यात्रा शुरू होता है।
मान्यता है की जगन्नाथ भगवान बीमार हो जाते है इसलिए स्वास्थ लाभ के लिये अपनी मौसी के घर विश्राम करने जाते है ,साथ में भाई बलराम और बहन सुभद्रा भी जाती है। दूज को रथ से जाते है और फिर दसवें दिन तीनो वापस आते है तब तक मंदिर का कपाट बंद रहता है।
हिन्दू धर्म में चार धाम का बहुत ही महत्त्व है। माना जाता है की भगवान विष्णु रमेश्वरम में स्नान ,पुरी में भोजन ,द्वारका में शयन और बद्रीनाथ में ध्यान करते है।इसी बहाने पूरा भारत एक हो जाता है और चार धाम का यात्रा करता है. पूजा और भ्रमण दोनों हो जाता है। हिन्दू धर्म कितना महान है इसी से पता चलता है ,परिवार को कितना महत्त्व दिया गया है। भाई -बहन का प्यार ,मौसी के घर भगवान अपने भाई -बहन के साथ जाते है।वो भी स्वास्थ लाभ के लिये। राजा रंक सब भगवान के सामने बराबर है इसलिए राजा झाड़ू लगाते थे रथ के सामने। पर्यावरण को ही लिया जाये तो जब पेड़ लगायेंगे उचित देख भाल होगा जंगल रहेगा तब ही तो हर साल भगवान का काष्ट रथ बनेगा ,और हर 12 साल में नया काष्ट मूर्ति जगन्नाथ जी का पुरी में बनता है।
जो भी हो रथ यात्रा के बहाने एक अलग ही उत्सव का मौहाल हो जाता है। भगवान को प्रसाद भी जामुन और मूंग चढाया जाता है। कोई भी साधारण आदमी हो राजा या रंक हो उसे प्रसाद चढ़ाने में संकोच नहीं रहेगा, मौसम का फल आसानी से मिल जायेगा और प्रसाद चढ़ा सकेगा।
पुरी का रथ यात्रा वर्ल्ड फेमस तो है ही ,लेकिन पुरे भारत में करीब -करीब हर जगह भगवान जगन्नाथ का मंदिर है, और हर मंदिर से अषाढ़ के दूज को भगवान का रथ निकाला जाता है। रथ भी खास काष्ट से बनाया जाता है और उसमें किसी धातु का इस्तमाल नहीं किया जाता है। राजा के ज़माने में रथ के आगे राजा झाड़ू लगाते थे फिर रथ को यात्रा के लिये आगे बढ़ाया जाता था। अब राजा तो है नहीं फिर भी शहर प्रमुख CM या गणमान्य लोग झाड़ू करते है फिर यात्रा शुरू होता है।
मान्यता है की जगन्नाथ भगवान बीमार हो जाते है इसलिए स्वास्थ लाभ के लिये अपनी मौसी के घर विश्राम करने जाते है ,साथ में भाई बलराम और बहन सुभद्रा भी जाती है। दूज को रथ से जाते है और फिर दसवें दिन तीनो वापस आते है तब तक मंदिर का कपाट बंद रहता है।
हिन्दू धर्म में चार धाम का बहुत ही महत्त्व है। माना जाता है की भगवान विष्णु रमेश्वरम में स्नान ,पुरी में भोजन ,द्वारका में शयन और बद्रीनाथ में ध्यान करते है।इसी बहाने पूरा भारत एक हो जाता है और चार धाम का यात्रा करता है. पूजा और भ्रमण दोनों हो जाता है। हिन्दू धर्म कितना महान है इसी से पता चलता है ,परिवार को कितना महत्त्व दिया गया है। भाई -बहन का प्यार ,मौसी के घर भगवान अपने भाई -बहन के साथ जाते है।वो भी स्वास्थ लाभ के लिये। राजा रंक सब भगवान के सामने बराबर है इसलिए राजा झाड़ू लगाते थे रथ के सामने। पर्यावरण को ही लिया जाये तो जब पेड़ लगायेंगे उचित देख भाल होगा जंगल रहेगा तब ही तो हर साल भगवान का काष्ट रथ बनेगा ,और हर 12 साल में नया काष्ट मूर्ति जगन्नाथ जी का पुरी में बनता है।
जो भी हो रथ यात्रा के बहाने एक अलग ही उत्सव का मौहाल हो जाता है। भगवान को प्रसाद भी जामुन और मूंग चढाया जाता है। कोई भी साधारण आदमी हो राजा या रंक हो उसे प्रसाद चढ़ाने में संकोच नहीं रहेगा, मौसम का फल आसानी से मिल जायेगा और प्रसाद चढ़ा सकेगा।
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