सोमवार, 28 नवंबर 2022

#ASHTVINAYAKA#TEMPLE

                             अष्टविनायक  मंदिर 

        अष्टविनायक आठ अति प्राचीन  भगवान गणेश के मंदिर आठ शक्तीपीठ कहलाती है। जो की स्वंभू है मानव निर्मित नहीं हे।पूना के पास 20 से 110 किलोमीटर की दूरी में है। आठो को देखने में 2 दिन का समय लग जाता है। पुराणों में इसका वर्णन किया गया है। 

1 मोरेश्वर मंदिर -पुणे से 80 किलोमीटर की दूरी में मोरेगावं में है। मंदिर के चारों  ओर चार मीनार और चार दीवार है जिसे सतयुग ,त्रेता ,द्वापर और कलीयुग के प्रतीक माना जाता है। यहाँ गणेश जी मोर में बैठ कर राक्छस का वध किये थे इसलिए मोरेश्वर नाम पड़ा। यहाँ भगवान शिव और नंदी विश्राम किये थे तब से नंदी भी विराजमान है और गणेश जी का मूषक। .गणेश जी का सूंड बाएं हाँथ की ओर है। 

2 सिद्धिविनायक मंदिर -पुणे से करीब 200 किलोमीटर की दूरी में भीम नदी के पास सिद्धी टेक गावं में है। यहाँ भगवन विष्णु ने सिद्धीयां हासिल की थी यहाँ मूर्ति 3 फ़ीट की है और सूंड सीधे हाँथ की तरफ है। 

3 बल्लालेश्वर मंदिर -मुम्बई पुणे हाईवे पर पाली से टोयन में 11 किलोमीटर की दूरी में है। बल्लाल नमक गणेश भक्त बालक को गणेश जी ने दर्शन दिया था उन्ही के नाम पर मंदिर का नाम पड़ा। 

4 वरदविनायक -यह मंदिर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड में है। भक्तो की सभी मनोकामना यहाँ पूर्ण होती है। इस मंदिर में नंददीप नाम का एक दीपक कई वर्षो से प्रज्जल्वित है। 

5 चिंतामणि मंदिर -तीन नदी भीम ,मुला और मुथा के संगम में थेऊर गावं में है। यहाँ भगवान ब्रह्मा ने अपने विचलित मन को वश में करने के लिये तपस्या किया था।

6 गिरीजात्मजा - नासिक पुणे रोड में पुणे से 90 किलोमीटर की दूरी में लेणीयाद्री पहाड़ में 18 बौद्ध गुफा है जिसमे 8 वी गुफा में  गिरजा का पुत्र  गणेश जी वीराज मान है।मंदिर तक जाने के लिये 300 सीढ़ी चढ़ना होता है। 

7 विघ्नेश्वर मंदिर -पुणे के ओझर जिले के जुनूर छेत्र में ये मंदिर है। विघ्नासुर का यहीं वध गणेश जी ने किया था। तभी से मंदिर को विघ्नहार के रूप में जाना जाता है। 

8 महागणपति मंदिर -ये मंदिर राजनंगावं में है। 9 वीं -10 वीं सदी का माना जाता है। विदेशी आक्रमणकारी से रक्षा करने के लिये मूल मूर्ति को तहखाने में छिपा दिया गया था। मंदिर बहुत ही विशाल है। मूर्ति की सजावट भी बहुत ही  सुन्दर है। जैसा नाम वैसा ही भव्य मंदिर। 

आठों मंदिर में एक नया चीज देखने मिला की जैसे शिव मंदिर में दरवाजे में नंदी होते है वैसे ही गणेश मंदिर में दरवाजे में गणेश का वाहन मूषक और कछुआ जरूर बना था। 












   


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