शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

PATHARCHATTA KALANCHOE

                            पथरचट्टा   ( कलान्च  )

        भारत के सभी राज्यों में पाया जाने वाला औषधीय गुणों से भरपूर पथरचट्टा का पौधा होता है। वैसे मेडागास्कर इसकी उत्पति स्थल है। वहीं से पुरे एशिया के अलावा ऑस्ट्रेलिया ,न्यूजीलैंड,वेस्टइंडीज आदि देशों में पाया जाता है। आर्युवेद के अनुसार पथरी के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है, इसलिए इस पौधा का नाम पत्थरचट्टा पड़ा। बहुत बीमारीयों में इसके पत्ते से दवाई बनाया जाता है।
    देशी पथरचट्टा का पौधा 2 -3 फ़ीट हाईट का होता है और इसके पत्ते से अनेक पौधा निकलता रहता है। ठण्ड में एक बार फूल भी होता है। फूल बहुत ही सूंदर अंगूर के गुच्छे जैसा गुलाबी लिये होता है। और महीनो तक टीका रहता है। पौधे का कुछ ज्यादा देखभाल भी नहीं करना पड़ता है। जहाँ जहाँ पत्ती गिरता है वहीं नया पौधा तैयार हो जाता है।साल भर हरा भरा रहता है।इसका पत्ती भी थोड़ा बड़ा और सुन्दर दीखता है। 
   आजकल इसका भी कई रंगो वाला हाईब्रीड पौधा नर्सरी में मील जाता है। पौधा छोटा करीब एक फ़ीट का होता है और फूल गुच्छों में होता है।हाईब्रीड पौधा का पत्ती देशी के अपेक्छा छोटा होता है.इसका फूल  लाल ,पीला ,गुलाबी आदि रंगो में होता है और देखने में भी सुन्दर लगता है। ठण्ड में खिलता है और 2 -3 महीना फूल होते रहता है पर पौधा बहुत ही नाजुक होता है और साल भर उचित देख भाल नहीं करने पर अगले साल नहीं बचता है।


      

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