बुधवार, 11 दिसंबर 2019

VAJRADANTI , PORCUPINE ,BARLERIA PRIONITS,KATE KORANTI

                        वज्रदंती    ( काटे कोरंटी )

          वज्रदंती का पौधा पुरे भारत में पाया जाता है। भारत के अलावा श्री लंका और अफ्रीकन देशों में भी होता है।  इसका फूल 5-6  रंगों में होता है। पीले रंग का फूल वाला वज्रदंती का  पौधा थोड़ा कटीला होने के कारण इसका नाम कांटे कोरंटी भी है और अंग्रेजी में पोर्क्यूपिन कांटे वाला जीव के नाम पर इस पौधा को पॉर्क्यूपिन  भी बोला जाता है।
      पीला फूल वाला पौधा में बरसात के बाद ओक्टुबर से फरवरी तक खूब फूल होता है। इसका पीला फूल कार्तिक मास में भगवान को भी चढ़ाया जाता है और सोना दान जैसा महत्व बताया गया है।
 सफ़ेद ,नीला और वैगनी रंग वाला फूल दिसम्बर से पुरे ठण्ड में खिलता है इसलिए इसे दिसम्बर फ्लावर भी बोला जाता है।अलग रंग अलग मास में खिलता है पर इसका पूरा पौधा ही मेडिसिन बनाने में उपयोग किया जाता। आयुर्वेदिक में भी इसका बहुत महत्व बताया गया है। जैसा की नाम है वज्रदंती दांतो के दवाई में भी उपयोग होता है दांत को वज्र के सामान मजबूत करता है। दांत के अलावा आयुर्वेदिक में बहुत सी बीमारियों के इलाज में वज्रदंती के पौधे से दवाई बनाई जाती है ।
   इतना महत्वपूर्ण पौधा होने के कारण ही इसे सोना दान का महत्व दिया गया होगा ,जिससे लोग पौधा का सही देख रेख करे। पौधा लगाना भी बहुत ही आसान है एक बार लगा दो तो पौधे के नीचे फूल गिरने पर अनेक छोटे पौधा उग जाता है। उसे अपने सुविधा अनुसार बार -बार जगह -जगह लगाते जाओ और बढ़ाते जाओ। जब फूल होता है तो पौधा पूरा फूल से ढँक जाता है बगीचे का शोभा भी बढ़ जाता है।फूल का खासियत भी है ,सुबह फूल तोड़ कर भगवान को चढ़ाने पर दूसरे दिन भी फूल खिला रहता है। अधिकतर फूल दूसरे दिन मुरझा जाता है। इस गुण के कारण पौधा हर समय फूल से लदा रहता है।  मेरे पास तो सफ़ेद और पीला फूल वाला ही पौधा है पर फूल के मौसम में गार्डन का रौनक देखते ही बनता है।






 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें