रविवार, 23 दिसंबर 2018

THREE SIVA TEMPLES IN A DAY

                            कोचीन के महादेव मंदिर

             कोचीन बहुत ही प्राचीन नगर है ,इसलिए एक से बड़कर एक मंदिर यहाँ पर है। कोचीन से करीब 14 किलोमीटर की दूरी में कोट्टायम डिस्ट्रीक पर 12 -12-12  किलोमीटर  की ट्रैंगल दूरी में बहुत ही प्राचीन महादेव का तीन मंदिर है।मान्यता ये है की एक दिन में तीनों मंदिर का दर्शन करना चाहिए। दर्शन करने पर मनोकामना पूर्ण होता है और मुक्ति मिलता है। तीनो मंदिर बहुत ही पावर फुल है।माना जाता है की 15 वीं शताब्दी में बना है और मानना ये भी है की रामायण ,महाभारत कल से ही यहाँ पूजा होता है। वैष्णो और शिवाय दोनों संप्रदाय के लोग यहाँ पूजा करते है।
                                       वायकॉम महादेव  (VAIKOM MAHADEO )

            कोचीन से सुबह सबसे पहले वायकॉम  मंदिर दर्शन करते है। केरल को गॉड्स ओन कंट्री माना जाता है। वायकॉम का मंदिर भगवान की नगरी में हुआ। वायकॉम मंदिर एक ऐसा मंदिर है जिसे शैव और वैष्णव दोनों संप्रदाय के  लोग जहाँ  पूजा  करते है। माना जाता है की यहाँ का शिवलींग त्रेता युग का है। तब से आज तक यहाँ पूजा जारी है। नवंबर के अष्टमी को स्पेशल पूजा होता है। शिव की सवारी नन्दी का बड़ा सा मूर्ती प्रांगण में है। मंदिर गोल शेप में है और दीवाल में द्रविड़ शैली का पेंटिंग किया हुआ है।

                                कडुत्तुरुथी (KADUTHURUTHY )

                                         थालियिल महादेव मंदिर

        वायकॉम मंदिर दर्शन के बाद कडुत्तुरुथी महादेव मंदिर का दर्शन करते है।  माना जाता है की वायकॉम ,कडुत्तुरुथी और एट्टुमानूर तीनो मंदिर एक ही समय में बना था। रामायण काल के खर -दूषण को शिव जी ने प्रसन्न हो कर तीन शिव लिंग दिए थे। वे आराम करने बैठे और उनके हाँथ से शिव लिंग  यही तीन जगह में गिरा था।और स्थापित  हो गया। अब सच जो हो। यहाँ से फिर तीसरा मंदिर एट्टुमानूर जाते है।

                                एट्टुमानूर (ETTUMANOOR )महादेव

        तीसरा मंदिर एट्टुमानूर फिर दर्शन करते है। माना जाता है की पांडव और व्यास जी भी यहाँ पूजा करे थे। ये भी मंदिर 15 वीं शताब्दी का द्रविड़ शैली में बना हुआ है।इस मंदिर में फरवरी  में फेस्टीबल होता है।
  तीनो मंदिर में तुला भरण भी देखने मिला जैसा की द्वारका और गुरुवायुर के मंदिर में होता है। तीनो ही मंदिर विशाल ,सुंदर बहुत ही अच्छा था। और रामायण -महाभारत से इसकी कहानी जुडी मिली।
        एक कहनी ये भी है।  रामजी जब रामेश्वर से श्रीलंका जा रहे थे तो हनुमान जी से शिव लिंग लाने बोले। समुद्र किनारे पूजा करके ही उस पार जायेंगे। हनुमान जी हिमालय से तीन शिव लिंग लेकर अपने दोनों हाँथों और गले में दबा कर रामेश्वर के लिये चले। इधर मुहूर्त निकला जा रहा था रामजी समुन्द्र किनारे रेत जमा कर शिवलींग बना कर पूजा करने लगे। तब तक हनुमान जी भी उड़ते हुए आसमान से देखे की हमें आने में देर हो गया तो भगवान जी खुद लिंग बना कर पूजा कर रहे है। देख कर घबड़ा गए तो उनसे तीनो शिवलींग तीन दिशा में गिरा।माना जाता है की कोचीन का तीनो शिव मंदिर वायकॉम ,कदुथुरथी और एट्टुमानूर  में जो शिवलींग का पूजा होता है वो वही है।अब सच जो हो ,मंदिर तो मंदिर जैसा भावना और श्रद्धा हो वही सही। अब राजेश के कारण कोचीन आये तो तीनो मंदिर का दर्शन भी हो गया। कोचीन से सुबह जल्दी जाने पर दोपहर तक तीनो मंदिर का दर्शन करके शाम को वापस कोचीन आ सकते है
             जो भी भक्त सबरीमाला दर्शन के लिये जाते है ,पहले तीनो महादेव मंदिर का दर्शन करते है फिर सबरीमाला में हनुमान मंदिर का दर्शन करने जाते थे। हमलोगों को भी सबरीमाला जाने वाला जथा मिला। शायद कोइ  तीथी वार था।













   

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