क्रिसमस
कुन्नूर अंग्रेजों का बसाया हुआ तमिलनाडु का एक हिल स्टेशन है। अंग्रेजों के कारण यहाँ क्रिश्चन और चर्च भी बहुत है। इस बार 25 दिसम्बर क्रिसमस मेरा यहीं पड़ा। बहुत चर्च भी घूमना हुआ। क्रिश्चन मिशनरी का बुजुर्गों का आश्रम में भी क्रिसमस देखना हुआ। क्लब में भी धूम -धाम से क्रिसमस सेलिब्रेट किये। यहाँ घर -घर में क्रिसमस ट्री सजाते है हमलोगो ने भी सजाया।
अभी तक कभी ध्यान नहीं दिए थे पार्टी होता है वेज -नॉन वेज रहता है केक तो रहेगा ही खाओ -पियो हो गया। पर इस बार ध्यान दिए जैसे बकरीद में बकरा जरूर बनता है ,वैसे ही क्रिसमस पार्टी में टर्की (पक्छी )जरूर रहता है।आखिर क्यों ,कब और कैसेशुरू हुआ पता नहीं था।
आज से करीब 500 साल पहले तक क्रिसमस पार्टी में डक ,गोट वगैरा बनता था। 16 -17 वीं शताब्दी में लन्दन का एक अंग्रेज व्यापारी अमेरीकन व्यापारी से टर्की खरीद कर डिनर में बनवाया।उस समय के राजा हेनरी और एडवर्ड ने लन्दन में क्रिसमस में टर्की खाया। तब से आज तक क्रिसमस डिनर में टर्की जरूर रहता है।ब्रिटेन के 87 %लोग बहुत चाव से टर्की खाते हैं।
कुन्नूर अंग्रेजों का बसाया हुआ तमिलनाडु का एक हिल स्टेशन है। अंग्रेजों के कारण यहाँ क्रिश्चन और चर्च भी बहुत है। इस बार 25 दिसम्बर क्रिसमस मेरा यहीं पड़ा। बहुत चर्च भी घूमना हुआ। क्रिश्चन मिशनरी का बुजुर्गों का आश्रम में भी क्रिसमस देखना हुआ। क्लब में भी धूम -धाम से क्रिसमस सेलिब्रेट किये। यहाँ घर -घर में क्रिसमस ट्री सजाते है हमलोगो ने भी सजाया।
अभी तक कभी ध्यान नहीं दिए थे पार्टी होता है वेज -नॉन वेज रहता है केक तो रहेगा ही खाओ -पियो हो गया। पर इस बार ध्यान दिए जैसे बकरीद में बकरा जरूर बनता है ,वैसे ही क्रिसमस पार्टी में टर्की (पक्छी )जरूर रहता है।आखिर क्यों ,कब और कैसेशुरू हुआ पता नहीं था।
आज से करीब 500 साल पहले तक क्रिसमस पार्टी में डक ,गोट वगैरा बनता था। 16 -17 वीं शताब्दी में लन्दन का एक अंग्रेज व्यापारी अमेरीकन व्यापारी से टर्की खरीद कर डिनर में बनवाया।उस समय के राजा हेनरी और एडवर्ड ने लन्दन में क्रिसमस में टर्की खाया। तब से आज तक क्रिसमस डिनर में टर्की जरूर रहता है।ब्रिटेन के 87 %लोग बहुत चाव से टर्की खाते हैं।
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