मंगलवार, 23 जनवरी 2018

TURMERIC

                                      HALDI--हल्दी

          हल्दी हमारे रसोईं की शान के साथ -साथ चमत्कारी औषधीय गुणों से भर पुर है।आयुर्वेदिक दवाई में  प्रयोग तो होता ही है । हमारे पूजा पाठ हो या विवाह वगैर हल्दी का चलता ही नहीं।विवाह में तो हल्दी का रस्म का बहुत ही महत्त्व है।  हल्दी पूजा -पाठ हो  ,रीतिरिवाज हो या रसोई सब में लगने वाला गुणों का भंडार है।
      हल्दी का पौधा लगाना  भी बहुत ही आसान है ,और सेवा भी ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ता है। जून -जुलाई के महीने में सूखा हुआ हल्दी का गांठ क्यारी में लाईन से लगाना पड़ता है। फिर अगस्त सितम्बर तक हरा भरा पौधा तैयार हो जाता है और उसमें सफ़ेद फूल गुच्छे में होता है,जो की  भीना -भीना खुशबू वाला होता है। जनवरी फरवरी तक पौधा सूखने लगता है। यानी की पौधे के जड़ों में हल्दी का गांठ तैयार हो गया है।
             मार्च तक मट्टी खोद कर सारे हल्दी की गांठ को निकालना पड़ता है। फिर उसे अच्छी तरह धोने के बाद 15 -20 मिनट अच्छे से उबाल कर फिर उन गांठो को छान कर धुप में 8 -10 दिनों तक सुखना पड़ता है। जब सारे हल्दी के गांठ सुख जाते हैं तब पीस कर पाऊडर हल्दी मिलता है। अब साल भर इसे रसोई हो या किसी भी काम में उपयोग में ले सकते है।
          हमारा भी हल्दी अच्छी तरह तैयार हो गया है बस अब सुखा कर पीसना बाकी है। घर के गार्डन में कुछ होता है तो उसको देख कर ही दिल खुश हो जाता है।
 


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