बुधवार, 25 अक्तूबर 2017

CHHATH PUJA

                                    आस्था का महा पर्व छठ

                   हमारे पूर्वज बहुत ही ज्ञानी और विज्ञानी थे। हजारों साल पहले से पृथ्वी ,ग्रह नछत्र ,जल सब के विषय का उन्हें ज्ञान था। उन्हें पता था कैसे पर्यावरण और स्वास्थ को संतुलित करना चाहिए। इसलिए धर्म से सभी व्रत त्योहार को जोड़ा गया था।
     यदि बात छठ पूजा का करे जो की आज है। वैसे चार दिन का बहुत ही कठीन पूजा है। इसमें साफ -सफाई और शुद्धता में जोर दिया गया है। जहाँ इस व्रत में व्रती महिला 36 घंटे का उपवास करती है। वहीं सामुहिक आयोजन करना पड़ता है हर वर्ग के लोग जलाशय ,तालाब ,नदियों की सफाई में जुट जाते है। पूजन सामग्री भी मौसम से जुड़ा फल वगैरा होता है। प्रसाद भी गुड़ और आटा(ठेकुआ ) से बनता है।
      इस व्रत की  सबसे बड़ी बात सूर्य उपासना का है। डूबता सूर्य और उगता सूर्य दोनों का ही पूजा होता है ,वो भी नदी ,जलाशय में अर्ध देकर। माना जाता है की सूर्य की बहन छठ देवी है इसलिए कार्तिक मास के छठवें दिन छठ पूजा सूर्य को अर्द्ध देकर किया जाता है।अपने संतान और परिवार की खुशीयाली के लिये महिलाएं व्रत रखती है और सूर्य को अर्द्ध देने के बाद ही पारण करती है।
     वैसे हमारे देश में जग प्रसिद्ध  सूर्य मंदिर कोणार्क में तो है ही इसके अलावा बिहार और बाकी बहुत शहरों में भी  सात घोड़े वाला सूर्य रथ वाला मंदिर है। अब सिर्फ बिहार में ही छठ व्रत नहीं होता है बल्कि सारे भारत में मनाया जाता। इसी बहाने जलाशयों की साफ सफाई भी हो जाती है। पर्यावरण ,स्वाथ्य और सामूहिक आयोजन सब हो जाता है।






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