अक्षय नवमी
आमला नवमी पूजा
जैसा की नाम है आमला नवमी , कार्तिक नवमी के दिन आमला के पेड़ की पूजा की जाती है।माना जाता है कीआमला के पेड़ में विष्णु जी और शिव जी का वास है। इसलिए नवमी तिथि को आमला के पेड़ की पूजा की जाती है। और पेड़ के नीचे ब्राम्हण को भोजन करा कर भोजन करना चाहिए। इस दिन आमला दान करना चाहिए और खाना भी चाहिए।जिससे घर धन -धान्य से भरा रहेगा ,परिवार खुशहाल और निरोग्य रहेगा।
हमारे साधु -संत कितने ज्यादा ज्ञानीऔर विज्ञानी थे इसी से पता चलता है की आमला फल को भी धर्म से जोड़ दिए। अब जब हम साल भर पेड़ का सेवा करेंगे तब उसमें फल होगा और तब ही हम पूजा कर सकेंगे। उन्हें हजारों साल पहले से अमला का औषधीय गुणों का पता था। अब धर्म से जोड़ ने पर लोग बाग पूजा के बहाने पेड़ लगायेंगे और फल खाएंगे। लोग निरोग होंगे तो बीमारी से दूर रहेंगे ,पर्यावरण अच्छा रहेगा,है ना एक पंत दो काज।
इस बार आमला नवमी 29 अक्टूबर को पड़ा है पूजा भी करो और परिवार के साथ पिकनिक भी मना लो। आज कल बाग बगीचे ,उद्यान हर जगह आमला का पेड़ लगाया जाता है। बस लोग बाग पूजा भी कर लेते है। सबों का मिलना जुलना भी हो जाता है.पूजा पाठ ,व्रत , त्योहार का त्योहार मित्रों का सामूहिक वन भोज सब का सब एक साथ हो जाता है।
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आमला नवमी पूजा
जैसा की नाम है आमला नवमी , कार्तिक नवमी के दिन आमला के पेड़ की पूजा की जाती है।माना जाता है कीआमला के पेड़ में विष्णु जी और शिव जी का वास है। इसलिए नवमी तिथि को आमला के पेड़ की पूजा की जाती है। और पेड़ के नीचे ब्राम्हण को भोजन करा कर भोजन करना चाहिए। इस दिन आमला दान करना चाहिए और खाना भी चाहिए।जिससे घर धन -धान्य से भरा रहेगा ,परिवार खुशहाल और निरोग्य रहेगा।
हमारे साधु -संत कितने ज्यादा ज्ञानीऔर विज्ञानी थे इसी से पता चलता है की आमला फल को भी धर्म से जोड़ दिए। अब जब हम साल भर पेड़ का सेवा करेंगे तब उसमें फल होगा और तब ही हम पूजा कर सकेंगे। उन्हें हजारों साल पहले से अमला का औषधीय गुणों का पता था। अब धर्म से जोड़ ने पर लोग बाग पूजा के बहाने पेड़ लगायेंगे और फल खाएंगे। लोग निरोग होंगे तो बीमारी से दूर रहेंगे ,पर्यावरण अच्छा रहेगा,है ना एक पंत दो काज।
इस बार आमला नवमी 29 अक्टूबर को पड़ा है पूजा भी करो और परिवार के साथ पिकनिक भी मना लो। आज कल बाग बगीचे ,उद्यान हर जगह आमला का पेड़ लगाया जाता है। बस लोग बाग पूजा भी कर लेते है। सबों का मिलना जुलना भी हो जाता है.पूजा पाठ ,व्रत , त्योहार का त्योहार मित्रों का सामूहिक वन भोज सब का सब एक साथ हो जाता है।
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