TUE,10 NOV                    
                                                                    बगीचा हमारा 
             मुझे दो ही शौक है ,एक पढ़ना -लिखना और दूसरा बागवानी। वैसे तो हमारा गार्डन बहुत बड़ा और सुन्दर है। पुराना होने के कारन फलदार पेड़ भी है ,सुंदर रंग -बिरंगे फूलों की क्यारी भी है। एक लिली पौंड भी है जिसमे नील कमल ,रंगबिरंगी मछलियाँ फवारा भी है।  रोज -रोज देखकर लगता है की थोड़ा कुछ बदलाव करना चाहिए। 
            संजोग ही नहीं हो रहा था। कभी मौसम ,कभी मूड ,कभी साधन। इस बार दीवाली पर ऐसा संजोग हुआ घर में रंगरोगन भी हुआ ,किचेन भी मॉडलर हो गया और गार्डन भी सज गया। सुबह शाम गार्डन में घूमना ,चिड़ियों को देखना बड़ा अच्छा लगता है।  फलदार पेड़ बड़ा होने के कारन सुबह -सुबह तोता भी खुब आती है और अमरुद खाती है। कबूतर अलग घुमती रहती है।किंगफिशर पौंड से मछली लेजाती है।
दिन में जब मौका मिला थोड़ा घुम ही लेते है। फुल ,फल ,पक्छी सब देख कर मन भी प्रसन हो जाता है और टाईम भी पास हो जाता है.बस हमारे जिनी और जॉनी से थोड़ा डर लगता है ज्यादा ऊधम नहीं करे बस नही तो सारा मेहनत बर्वाद।
दिन में जब मौका मिला थोड़ा घुम ही लेते है। फुल ,फल ,पक्छी सब देख कर मन भी प्रसन हो जाता है और टाईम भी पास हो जाता है.बस हमारे जिनी और जॉनी से थोड़ा डर लगता है ज्यादा ऊधम नहीं करे बस नही तो सारा मेहनत बर्वाद।










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