बुधवार, 11 नवंबर 2015

MODULAR KITCHEN

THU,12 NOV                                                  घर आया आधुनिक रसोई 
                       इस दीवाली में आखिर मॉडलर किचेन हो ही गया। अब मॉडर्न युग है सब कुछ मॉडर्न ,इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक का जमाना तो जमाना के साथ चलना ही पड़ता है और जरूरी भी है। 2 -3 साल से छोटी बहु को बड़ा मन था अपने घर का भी किचेन मॉडलर करवाने का पर संजोग ही नहीं बैठता था अब जाकर इस दीवाली में बनकर तैयार हुआ। 
   हमलोग अपनी माँ ,नानी ,दादी के ज़माने के रसोईघर का भी मजा ले चुके हैं। गोबर लीपा लकड़ी और कोयला चूल्हा का बटलोही में बना दाल -चावल हो या माटी के हांडी का दूध दही ,अंगारों में सिका गरमा गरम रोटी ,जमीन में लाईन से पाटे में बैठ कर कांसे फूल के थाली ,कटोरी में खाना खाये हैं। 
  अब हमारे नाती -पोतों के ज़माने में झटपट 2 मिनिट मैगी ,पीजा ,बर्गर हो या ओवन में बना बाटी और बैगन का भरता।कोई झंझट नहीं न कंडा सुलगाने का चकर न धुआं। बस मजे ही  मजे। हमलोग खुश नशीब हैं इस युग  में पैदा होकर हर पीढ़ी का अनुभव मिला पर हमारे नाती -पोता तो  सोचेंगे कंडा और कोयला में कैसे रसोई बनता था और ओभी जमीन में बैठ कर  बनाना और खाना।
     घर में एक दो जन शौकीन होना बड़ा ही जरूरी है ,तो सबों को नया -नया ज़माने के हिसाब से सब चीज देखने और मजा करने मिल ही जाता है। बस संजोग होना चहिये तब  इच्छाभी  पूरा हो ही जाता है।



  

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