TUE,24 NOV
भोजपुर
धार के परमार राजा भोज ने 11 सेंचुरी में भोजपुर बनाया और बसाया था। राजा भोज के नाम से ही भोजपुर पड़ा था और बाद में भोपाल हुआ।बचपन से सुनते थे कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली। पर उस समय ध्यान नहीं दिए बस लगा ऎसे ही कोई कहावत होगा। पर भोजपुर का खँडहर देख कर समझ आया की हजार साल पुराना खँडहर जब इतना भव्य है तो उस समय राजा भोज का क्या बात होगा।
आजकल सुननेमें आता है नदियों को जोड़ना चाहिए पर ये काम तो हजार साल पहले राजा भोज ने कर दिखाया था। 9 नदियों को जोड़ कर तालाब और नहर बनवाया था। जिसका उधारण भोपाल का ताल है। भोपाल में जो बड़ा ताल और दूसरा ताल तलईया है सब उसी कल का देन है। अच्छा
है अब भोपाल ताल का नाम भोज ताल और ताल के किनारे राजा का मूर्ती बनवा दिया गया है। ताल इतना बड़ा और विशाल है शीहोर और विदिशा तक बहती थी।
भोजपुर में एक और चीज बहुत प्रभावित किया यहाँ का शिव मंदिर जो की राजा भोज के अकाल मृत्यु के कारन बन नहीं पाया। जो की विश्व का सबसे बड़ा और पुराना चार मंजिला मंदिर होता। मंदिर में 26 फ़ीट ऊँचा शिव लिंग है। हजार साल पहले बनना शुरू हुआ था। मंदिर के चारों और पत्थर और चटानो में तरह -तरह के अक्रिती खूदा हुआ है। पूरा मंदिर का ड्रॉईंग और नक्शा ,प्लान सब चाटनो में खुदा है और सरकार के तरफ से सुरक्छित रखा गया है। यदि राजा जी का अकाल मृत्यु नहीं हुआ होता तो भव्य मंदिर बनता और पूजा हो पाता। येसब भोपाल एरिया में देख कर राजा का रईसी और सोच का पता चलता है। कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली सच हो जाता।भोजपुर जाना सफल हुआ नहीं तो कुछ पता ही नहीं चलता। ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें