शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

MANDU

FRI,20 NOV
                                                                            माण्डू 
                                            रानी रूपमती और बाजबहादुर की प्रेम नगरी 
              मालवा के  विन्ध्य पर्वतमाला में बसा माण्डू दुर्ग परमार राजाओं और सुल्तानों के समय से है। मांडू का महल 45 किलोमीटर लम्बी दीवार से घिरा हुआ है। 16 वीं सदी में बाजबहादुर अपनी प्रेमिका रानी रूपमती के लिये बनवाया था। दोनों कला और संगीत प्रेमी थे। रूपमती का नियम था की जब तक नर्मदा नदी का दर्शन नहीं कर लेती तब तक अन्न -जल ग्रहण नहीं करती थी ,इसे ध्यान में रख कार  महल का निर्माण किया गया था। रूपमती अपने महल के छत से नर्मदा का दर्शन करती थी। एक बार जंग में बाजबहादुर के मौत हो जाने के बाद महल में अँगूठी के हीरा खा कर रूपमती ने अपने प्राण त्याग दिया था।
     वैसे तो मांडू रूपमती और बाजबहादुर के प्रेम कहानी के लिये जाना जाता है। पर अलग -अलग समय में राजाओं और सुल्तानों द्वारा बहुत ही सुन्दर -सुन्दर महल ,बाग मस्जिद वगैरा बनवाया गया जो आज भी देखने योग्य है। जिसमें जहाज महल ,हिण्डोला महल , मस्जिद ,नहर ,स्नानागार वगैरा है। होशंगशाह का मक़बरा जो की उन्होंने  अपने बीबी ,बच्चों और अपना मक़बरा संगमरमर से बनवाया था। उसकी मीनार और गुम्बद बहुत ही नायब  दर्जे का बना है जिसे देख कर शाहजहाँ ने वास्तुकारों को भेज कर उनकी देख रेख में आगरा का ताजमहल बनवाया। 




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