रविवार, 16 फ़रवरी 2020

SHRI KASHI VISHWANATH TEMPLE

                काशी विश्वनाथ मंदिर
   
        शिव के त्रिशूल पर बसी काशी देवाधिदेव महादेव को अत्यंत प्रिय है। इसलिए धर्म ,कर्म और मोक्छ की नगरी मानी जाती है। हमारे सप्तपुरी में से एक पुरी और 12 ज्योतिर्लींग में से एक ज्योतिर्लींग काशी में ही है। कई हजार साल से काशी में ज्योतिर्लिंग है। बनारस ही 3000 साल पुरानी नगरी है। वर्त्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा 1780 में करवाया गया था।
  मुगलों के काल में मंदिर तोड़ कर बगल में ही मस्जिद बनवाया गया था। तब के पुरोहित लोगों ने गर्भ गृह को पीछे से तोड़ कर शिवलींग निकाल कर बगल के कुएं में छुपा दिया था। सैकड़ो साल बाद सन 1780 में  महारानी अहिल्या बाई होल्कर  के प्रयास से फिर मंदिर बना कर कुएं से शिवलिंग निकाल कर मंदिर में  स्थापित किया गया।महाराज रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 किलोग्राम शुद्ध सोने द्वारा मंदिर का गुम्बज  बनवाया गयाथा। मुगलों के तोड़ फोड़ में नन्दी को नुकसान नहीं हुआ था, पर मस्जिद बनने के कारन नन्दी का मुँह मंदिर के बदले मस्जिद की ओर हो गया।भारत सरकार की पहल से मंदिर और उसके चारो ओर फिर से काम चल रहा है। जिससे श्रद्धालुओं को आने जाने और मंदिर दर्शन में सुविधा हो।दो साल के अंदर पूरा काम हो जायेगा।  
     काशी बाबा विश्वनाथ मंदिर के लिये तो जाना ही जाता है। इसके आलावा बनारस का सिल्क भी विश्व प्रसिद्ध है. यहाँ का बनारसी साड़ी बहुत ही फेमस है। रेशम के आलावा इत्र के लिये भी जाना जाता है।





       

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