शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

GANGA ARTI VARANASI

             विश्व प्रसिद्ध काशी की गंगा आरती

        वरुणा और असी नदी के तट में घाटों की नगरी बनारस बसी  है। 1991 में सत्येंद्र मिश्र के नेतृत्व में हरिद्वार के तर्ज में गंगा आरती की शुरुआत हुई थी। 100 से अधिक पक्के घाट पूरी नगरी को धनुष के आकार में प्रदान है। यहाँ के दशाश्वमेघ घाट की गंगा आरती देखते ही बनती है।माना  जाता है की राजा दिवोदास ने 10 अश्वमेघ यज्ञ यहाँ किये थे , इसलिए इस घाट का नाम दशाश्वमेघ घाट पड़ा ,यहाँ यज्ञ कुंड भी इसकी गवाही देती है।शाम का नजारा और भी आकर्षक होता है। जब दीपों की रौशनी में नहाये घाट में चंदन की खुशबु और हवन मंत्रों के उच्चारण के साथ विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती शुरू होती है।करीब घंटा भर आरती होती है। उस समय जैसे समय ठहर जाता है। शाम को नौका विहार का आनंद लेने के बाद सारे नौका को गंगा जी में रोक दिया जाता है। सब कोइ गंगा आरती का नजारा देखते है घंटा कैसे निकल जाता है पता ही नहीं चलता है।
   नौका विहार में सभी घाटों का भी दर्शन हो जाता है। हरीशचंद्र घाट और मणिकर्णिका घाट में 24 घंटे लाशें जलती है।माना जाता है की शिव जी द्वारा अग्नि यहाँ प्रज्वलित किया गया था ,जो की आज तक जल रहा है। इसलिए यहाँ रात दिन किसी भी समय अंतिम संस्कार किया जाता है। यहाँ अंतिम संस्कार करने पर मुक्ति मिलता है ऐसा माना जाता है। यहाँ का तुलसी घाट में गोस्वामी तुलसी दास ने रामचरित्र मानस लिखा था। 3 -4 बार बनारस जाना हुआ पर इस बार जाके गंगा आरती का सौभाग्य प्राप्त हुआ।














    

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