काल भैरव
बनारस के कोतवाल
भगवान शिव की नगरी की व्यवस्था संचालन की जिम्मेदारी उनके गण सम्हालते है। जिनकी संख्या 64 है ,इनके मुखिया काल भैरव हैं। काल भैरव को भगवान शिव जी का अंश माना जाता है। बाबा विश्वनाथ जी ने भैरव जी को काशी का छेत्रपाल नियुक्त किया था। इसलिए इन्हें काशी का कोतवाल माना जाता है। इनका वाहन कुत्ता है इसलिए काशी के गलियों में घूमने वाले कुत्तों को काशी का पहरेदार माना जाता है। काशी में नए नियुक्त पुलिस अधिकारी सर्प्रथम काल भैरव का दर्शन करते है फिर डुयटी ज्वाइन करते है। माना जाता है की बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन के बाद काल भैरव का दर्शन करने पर ही काशी आना सफल होता है। हमलोगो को भी पुलिस बाला बाबा के दर्शन के बाद काल भैरव का दर्शन करके आने बताया।
काशी में ऐसा माना जाता हाई की काल भैरव मंदिर में भुत -प्रेत ,जादू -टोना मानने वाले अपनी समस्या लेकर आते है और उनका समस्या दर्शन के बाद पूर्ण हो जाता है।यहाँ धागा ,सुतली वगैरा चढ़ा कर पहनाया जाता है।अब मान्यता तो मान्यता ही है ,जिसकी जैसी श्रद्धा उसकी वैसी भक्ति।
बनारस के कोतवाल
भगवान शिव की नगरी की व्यवस्था संचालन की जिम्मेदारी उनके गण सम्हालते है। जिनकी संख्या 64 है ,इनके मुखिया काल भैरव हैं। काल भैरव को भगवान शिव जी का अंश माना जाता है। बाबा विश्वनाथ जी ने भैरव जी को काशी का छेत्रपाल नियुक्त किया था। इसलिए इन्हें काशी का कोतवाल माना जाता है। इनका वाहन कुत्ता है इसलिए काशी के गलियों में घूमने वाले कुत्तों को काशी का पहरेदार माना जाता है। काशी में नए नियुक्त पुलिस अधिकारी सर्प्रथम काल भैरव का दर्शन करते है फिर डुयटी ज्वाइन करते है। माना जाता है की बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन के बाद काल भैरव का दर्शन करने पर ही काशी आना सफल होता है। हमलोगो को भी पुलिस बाला बाबा के दर्शन के बाद काल भैरव का दर्शन करके आने बताया।
काशी में ऐसा माना जाता हाई की काल भैरव मंदिर में भुत -प्रेत ,जादू -टोना मानने वाले अपनी समस्या लेकर आते है और उनका समस्या दर्शन के बाद पूर्ण हो जाता है।यहाँ धागा ,सुतली वगैरा चढ़ा कर पहनाया जाता है।अब मान्यता तो मान्यता ही है ,जिसकी जैसी श्रद्धा उसकी वैसी भक्ति।
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