शनिवार, 30 मार्च 2019

SHREE RAM MANDIR JAMSHEDPUR

                           श्री राम मंदिर

      जमशेदजी टाटा का जन्म एक पारसी पुरोहित के घराने में हुआ था। इसलिए बचपन से ही पवित्रता और उच्च आदर्शो के वातावरण में बड़े हुए थे। उनके जीवन में इसका बहुत प्रभाव पड़ा था। अपनी मृत्यु के पूर्व उन्होंने अपने बड़े पुत्र दोराब जी को एक पत्र लिखा था की उनके सपनो का इस्पात नगर हरा -भरा तो रखना ही साथ ही सभी धर्मो का प्रार्थना स्थल भी बनवाना।
    दोराबजी ने उनके जन्म दिवस 3 मार्च 1933 को एक बड़े समारोह के साथ श्री राम मंदिर के देवताओं की प्राण प्रतीष्ठा की इस मंदिर को बड़े ही अपूर्व ढंग से बनवाया गया। मंदिर इतना भव्य और बड़ा बना की एक हजार व्यक्ति एक साथ प्रार्थना कर सकते थे।
    मंदिर में रामचन्द्रजी ,माता सीता ,लक्छमण ,हनुमानजी के आलावा शिवजी ,माँ दुर्गा ,माँ अनपूर्णा ,गणपती आदि 12 देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा की गयी। सभा और मंदिर के कार्य में किसी तरह का भेदभाव नहीं रखा गया था। सभा में भारतीय ,यरोपियन ,अमेरीकन सभी धर्म के लोग उपस्थित थे।इस साल 100 साल पुरे होने पर बहुत ही भव्य प्रोग्राम रखा गया था।
  जमशेदपुर औद्योगिक शहर होने के कारण हर राज्य से बड़ी संख्या में विभिन्न जाति -धर्म के लोग बसे हुए है। इसलिए यह एक कॉस्मोपोलिटन टाउन बन गया है। सभी धर्म के लोगों को ध्यान में रखा गया और कोइ भेद -भाव नहीं रखा गया था। कोइ भी मंदिर आ जा सकता था। बचपन में हमलोग भी दादा -दादी के साथ बहुत बार जाते थे पर कभी उस नजर से नहीं देखते थे और ना तो मंदिर के बारे में इतना जानते थे की कब ,क्यों और कौन बनवाया। बस मंदिर जाना आना करते थे। ऐसा मंदिर हमारे जमशेदपुर में है।






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