सोमवार, 25 मार्च 2019

LOH NAGRI JAMSHEDPUR

                                  लौह नगरी जमशेदपुर

         विश्व भ्रमण करते -करते दुनिया के बारे में जाने अनजाने बहुत कुछ लिख डाले पर अपने जन्म भूमि के बारे में अभी तक कुछ भी नहीं लिखे। इस बार माँ का श्राद्ध में टाटा आने पर बाबा बोले की अब तुम जमशेदपुर के विषय में भी कुछ लिखो। हम सोचे की जमशेदपुर के बारे में क्या लिखे यहाँ तो ज्यादा कुछ है नहीं ,बस लोहा का कारखाना और एक जुबली पार्क। फिर भी सोचे चलो बाबा याद दिलाये है तो थोड़ा -बहुत कुछ लिख ही डाले। बस क्या था लिखना शुरू किये तो एक से बढ़ कर एक बचपन से लेकर अभी तक का वकया याद आने लगा और अंगुल चलना शुरू हुआ। शायद आपलोगों को भी जमशेदपुर की कहानी पसंद आजाये।

                                   जमशेदपुर की शान जुबली पार्क

                     तीन मार्च को हर साल जमशेदजी टाटा का जन्म दिन पुरे शहर में बहुत ही धूम -धाम से मनाया जाता है। टाटा स्टील के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्छ में 1958 में टाटा कंपनी ने बड़ी धूम -धाम  गोल्डन जुबली मनाया और शहरवासियों को यह पार्क तोहफे में दिया। एक मार्च 1958 को नेहरू जी के कर कमलों से जुबली पार्क का उधघाटन किया गया था। हम खुश नसीब है की पार्क बनने से लेकर उधघाटन तक अपने बचपन  में हमें देखने का मौका मिला। आलेख लिखते हुए अपने बचपन की  सारी घटनाएं याद आते गयी।
        जुबली पार्क 40 एकड़ में फैला हुआ है। यहाँ 720 फ़ीट लंबा और 364 फ़ीट चौड़ा मुग़ल गार्डन में तीन टैरेस है। जिसमे 6 फ़ीट ऊंचाई से पानी गिरता है। चार लीली पोंड भी है। एक रोज गार्डन भी है ,जिसमे नाना आकर और प्रकार के एक से बढ़ कर एक प्रजाति के गुलाब है।बच्चों को ध्यान में रख कर निको ग्रुप का एक अम्यूसमेंट पार्क भी है। शाम के समय पार्क में रंगीन रौशनी ,फवारा और लेजर शो से लोगों का मन मोह लेता है।
         पार्क में टाटा के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा का एक आदमकद प्रतीमा भी है।हर साल तीन मार्च संस्थापक दिवस के अवसर पर तो जुबली पार्क को दुल्हन की तरह रौशनी से सजाया जाता है इसे देखने दूर -दूर से लोग बाग आते है ये पार्क जमशेदपुर की शान है। इन सब के आलावा पार्क में एक तितली पार्क ,जू ,जयंती सरोवर इत्यादी है। वैसे तो साल भर लोकल लोग और टूरिस्ट पार्क घूमने आते ही रहते है पर ठण्ड की बात ही कुछ और ही है चारो और किस्म -किस्म का सूंदर सूंदर फूल खिला रहता है। लोग यहाँ पिकनिक मनाने आते है।हमलोग भी जुबली पार्क में बचपन में बहुत पिकनिक किये है।
      हम बच्चे लोग गर्मियों में अल सुबह पार्क में दादा -दादी के साथ घूमने आते थे ,महुआ चुनते थे बहुत ही मजा आता था।अभी भी करीब -करीब मार्च में टाटा आना हो ही जाता है और तीन मार्च का प्रोग्राम देखने मिल ही जाता है। भैया भाभी के साथ रात को रौशनी देखने पार्क का एक चकर लगा ही लेते है। ये तो जुबली पार्क बनने से लेकर घूमने की बात हुई ,अभी जमशेदपुर की कहानी बहुत ही लम्बी बाकी ही है।
 
                                     



     

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें