गुरुवार, 28 मार्च 2019

GREEN CITY JAMSHEDPUR

                          हरित नगरी  जमशेदपुर

           जमशेदपुर को अस्तित्व में आये 2 जनवरी 2019 को एकसौ वर्ष हो गए। वैसे सन 1907 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (अब टाटा स्टील )की स्थापना हुई थी। मुम्बई के जमशेदजी नसरवानजी टाटा के बड़े पुत्र दोराबजी टाटा की देख रेख में झारखण्ड से गुजरती रेल लाईन पार की एक छोटी सी रेलवे स्टेशन कालीमाटी  से लगभग 5 किलोमीटर दूर के जंगलों के बीच दलमा पहाड़ के दक्छिन के स्वर्णरेखा नदी के तट के एक गावं साकची में लोहे का कारखाना टाटा आयरन एंड स्टील की नीव राखी गयी। आज ये कारखाना एशिया का सबसे बड़ा स्टील फैक्ट्री है।
      कारखाना के चारों ओर जमशेदपुर शहर बसा है ,और शहर के बाहर भी पूर्व और पश्चिम की ओर और भी छोटी बड़ी बहुत सी फैक्ट्रीयां है ,पर ये शहर हरी -भरी है। कारखानों और शहर बनाने के लिये लाखों पेड़ काटे गए होंगे पर कंपनी की और से बहुत पेड़ लगाये गये थे। आज भी पेड़ -पौधे बड़ी संख्या में हर वर्ष लगाए जाते है। यहाँ के घरों के सामने थोड़ी खाली जगह बागवानी के लिये होती है जिसमे लोग पेड़ -पौधा लगाते है। यहाँ एक हार्टीकल्चर सोसाइटी भी है जिसके द्वारा हर वर्ष दिसम्बर में फ्लावर शो का आयोजन होता है वहां के स्टालों से उचित मूल्य में दर्शक पौधा खरीद कर अपने घरों और आसपास पौधा लगाते है। इसी वजह से यहाँ बहुत कारखाना होने पर भी चारो तरफ हरियाली नजर आएगी और वातावरण भी शुद्ध नजर आएगा। इसलिए इस शहर को हरित नगरी कहने में कोई अतिश्योक्ती नहीं होगी। इसका श्रेय कंपनी के संस्थापक श्री जमशेदजी टाटा को जाता है उन्होंने सन 1902 में कारखाना बनने के पहले ही अपने बड़े पुत्र दोराबजी को विदेश से एक पत्र लिखा था ---
     Be sure to lay wide streets planted with shady trees,every other of a quick growing variety,Be sure that there is plenty of space for lawns and gardens .Reserve large areas for football,hockey and parks.

   जमशेदजी टाटा अपने सपनो की नगरी को देख नहीं पाए। विदेश में ही उनका देहांत हो गया था ,पर उनका पुत्र दोराबजी टाटा अपने पिता का सपना पूरा किये। उस ज़माने में ही 1937 में खेल के लिए कीनन स्टेडियम से लेकर पार्क ,बाग -,बगीचा ,फूल -फुलवारी  पुरे शहर को सूंदर और स्वच्छ बनाये जो की आजतक मेन्टेन किया जाता है। ऐसा हमारा जमशेदपुर है। और हमें जमशेदपुर वाशी होने पर गर्व है।अभी बहुत कुछ बताना और लिखना बाकी ही है ये तो अभी शुरुआत ही है।









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