गुरुवार, 15 दिसंबर 2016

POOS KI RAAT

                                                                पूस की रात 

                       पूस का महीना चल रहा है ,इस महीने में ठण्ड भी बहुत होता है। वैसे तो हर साल ही दिसम्बर में सभी जगह ज्यादा ही ठण्ड पड़ता है। कुन्नूर में होने के कारण ठण्ड का मजा ले रहे हैं। बच्चों की छुट्टी होने के कारण बच्चों की मस्ती भी खूब हो रही है।बच्चों ने लकड़ी इखट्टा कर के अलाव का इंतजाम किया। चाहे कितना ही बिजली का हिटर हो अलाव का मजा अलग ही होता है। 
       रोज -रोज अलाव देख केर अचानक ही मुंशी प्रेमचंद्र की कहानी पूस की रात का याद हो गया। उस समय तो ठण्ड का इतना ध्यान नहीं दिए बस हल्कू और उसके कुत्ते जबरा की कहानी पढ़   लिये। खेत में कैसे बिना कम्बल का दोनों चौकीदारी करते है। खेत में पत्तों को जला कर अलाव ताप कर रात विताते है,और रात को जब नींद में रहते है तो नील गाय का झुण्ड आकर पूरा फसल नस्ट कर देते हैं।बस अलाव देख कर बचपन में पढ़े  हुए पूस की रात की कहानी याद आ गयी।


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