शरद पुर्णीमा की रात्री
शरद पुर्णीमा की रात का बहुत ही महत्त्व है। एक तो मौसम का बदलाव का संकेत। तो
दूसरा उस दिन लक्छमी जी की पूजा की जाती है और रात को खीर बना कर आंगन में रखा जाता है और रात 12 बजे के बाद अमृत की वर्षा होती है तो उस खीर को खाने का प्रचलन है।कमल का फूल का भी जरुरत पड़ता है।
हमारे बचपन में दुर्गा पूजा पंडाल में शरद पुर्णीमा के रात को लक्छमी पूजा होता था। इस दिन सब कोई अपने घर में अल्पना से देवी का पैर बनाते थे घर सजाते थे और पूजा किया जाता था। हमलोग पुरे परिवार के साथ खीर का पिकनिक करते थे। इस दिन का सबों को इंतजार रहता था। इस बार बादल होने के कारन चाँद का दर्शन भी नहीं हो सका। स्कूल में चाँदनी रात में नोका विहार पर निबंध भी लिखने मिलता था।
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