मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016

DURGA PUJA

                                                              आया दुर्गा पूजा 

          हर साल की तरह इस साल भी  दुर्गा पूजा आया और ढेर सारी खुशीयाँ देकर माँ विदा हो गयी। हर साल टाटा तो पूजा में जाना सम्भव नहीं है। इस साल टाटा नहीं जा पायें कुन्नूर में पूजा में थे। अरवेंकाडु में पूजा देख पायें। बच्चे लोग छुटियों में बहार थे तो घर सुना -सुना होने के कारन पूजा में वो  रौनक नहीं लगा और बरबस लगा की वगैर बच्चों का घर त्यौहार में कितना सुना लगता है। माँ -बाबा भी अकेले त्यौहार कैसे मनाते होंगे। जब तक माँ बाबा हैं तो कम से कम पूजा में जरूर टाटा जाना चाहिए। 
     मनुष्य का भी क्या नेचर होता है जीतना मिले ओ कम ही लगता है और ज्यादा पाने की इच्छा होती है। अब हमी को पूजा में जाने मिला  आरती देखने मिला पर टाटा का पूजा का सोच कर अफशोस ही हुआ काश टाटा जाते भोग खाते ,पूजा स्पेशल मिठाई खाते ,सिंदूर खेला करते कितना मजा आता। चलो जो मिला जितना मिला वही ठीक है ज्यादा सोचना और अफ़सोस करना वेवकूफी ही है ,हाथ तो आना नहीं है बस अफशोस करते रहो जिसका कोई अंत नहीं। ।










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