गुरुवार, 10 सितंबर 2015

MURUGAN TEMPLE PALANI

FRI,11 SEP

                                                                     मुरुगन टेम्पल 
                                                                     पलनी -फलनी 
 कार्तिक जी अपने माता -पिता से फल नहीं मिलने के कारण रूठ कर दक्खिन के तमिलनाडु के पलनी में आकर घोर तपस्या में लीन हो गए थे उसके बाद वापस उतर कभी नहीं गए।तब से हर साल पार्वती अम्मा अपने पुत्र से मिलने आती है। इसलिए इस जगह का नाम फलनी पड़ा जो अब पलनी हो गया।



7 वीं शताब्दी में केरल राज्य के शासक ने यहाँ मंदिर बनवा दिया। मंदिर की मान्यता है जो भी सच्चे मन से आकर पूजा करता है उसकी माँग पूरी हो जाती है। पलनी का मंदिर समुद्र की सतह से 1500 फिट ऊपर पहाड़ में है। 697 सीढ़ी चढ़ कर ऊपर जाना होता है। पर  अब रोपवे हो जाने पर भक्तों को आने में आसानी हो गया है।
 वैसे तो सालभर भक्तों का आना लगा रहता है पर हर  साल तमिल नववर्ष में 14 जनवरी से 14 फरवरी तक विशेष पूजा अर्चना होता है और कावड़िया लोग पवित्र जल लेकर आते हैं और पूजा करते है।तमिलनाडु में गणेश के बदले कार्तिक का ही पूजा ज्यादा होता है और हेर घर में अपने एक बच्चे का नाम सेंथिल, कार्तिक या सुब्रमणियम जरूर रखते है। 
                 मंदिर का गोपुरम सोने का है और चांदनी रात में इस की छठा देखने लायक होती है।कोयंबटूर ,मदुरई से सीधी बस और रेल सुबिधा है।    



                                                          
                                                         
                                                 

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