WED,9 SEP
ध्यानलिंग योग मंदिर
दिव्य शक्ति का द्वार
भारत की यह पुण्य भूमि असंख्य मुनियों योगियों के जीवन की साख्छी रही है। तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले में स्थित ध्यानलिंग मंदिर है। ध्यानलिंग मंदिर योग विज्ञान का आसवित सार है। इसका सम्बन्ध किसी खास मत या पंथ से नहीं है। इसे किसी पूजा या प्रार्थना की जरुरत नहीं होती। ध्यानलिंग के आभामंडल में सहजता पूर्वक मौन होकर कुछ मिनट तक बैठने से ही ध्यान से अपरिचित व्यक्ति भी ध्यान की गहरी अवस्था का अनुभव कर सकता है।इससे निरन्तर प्रवाहित होने वाली दिव्य ऊर्जा को महसूस कर सकता है।
ध्यानलिंग मंदिर में अमावस्या और पूर्णिमा विषेश महत्व के दिन होते है। इन दिनों कोई भी दर्शनार्थी व्यक्तिगत रूप से ध्यानलिंग में दूध और जल चढ़ा सकता है। दूध सुबह 6 बजे से 1 बजे दोपहर तक और जल दोपहर 1 बजे से शाम 8 बजे तक।
महाशिवरात्री का पर्व ईशा योग केन्द्र में हर वर्ष पूरी रात सदगुरु के साथ सत्संग करके मनाया जाता है।
ध्यानलिंग योग मंदिर के उतर की और तीर्थकुंड है। जमीन में 30 फिट गहरा खुदा हुआ ऊर्जान्वित जल का कुण्ड है जिसमे एक रसलिंग प्रतिष्ठित किया गया है। आज के विज्ञान के युग में भी पारा को ठोस नहीं किया जा सकता।यह तरल ही रहता है। पर हमारे पुराने रस विज्ञान के द्वारा यह संभव किया गया है। इस कुण्ड मे डुबकी लगाने से शरीर मे एक नए जीवन का संचार होता है।
कोयंबटूर से 30 किलोमीटरपश्चिम वेलेंगिरी पर्वतों की तलहटी में स्थित है। साल के किसी दिन आकर देख सकते है और लाभ उठा सकते है।
ध्यानलिंग योग मंदिर के उतर की और तीर्थकुंड है। जमीन में 30 फिट गहरा खुदा हुआ ऊर्जान्वित जल का कुण्ड है जिसमे एक रसलिंग प्रतिष्ठित किया गया है। आज के विज्ञान के युग में भी पारा को ठोस नहीं किया जा सकता।यह तरल ही रहता है। पर हमारे पुराने रस विज्ञान के द्वारा यह संभव किया गया है। इस कुण्ड मे डुबकी लगाने से शरीर मे एक नए जीवन का संचार होता है।
कोयंबटूर से 30 किलोमीटरपश्चिम वेलेंगिरी पर्वतों की तलहटी में स्थित है। साल के किसी दिन आकर देख सकते है और लाभ उठा सकते है।
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